हरियाणा- NCR के दायरे में अपना क्षेत्रफल क्यों कम करवाना चाहता है, यहाँ जानें कारण

चंडीगढ़ | नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश और केंद्र सरकार की नई कबाड़ नीति हरियाणा सरकार के लिए काफी परेशानी का सबब बन रही है. हरियाणा के 13 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आने से इन आदेशों का सबसे ज्यादा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है. हरियाणा सरकार चाहती है कि दिल्ली में राजघाट को केंद्र बिंदु माना जाए और 100 किमी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों को ही एनसीआर योजना बोर्ड का हिस्सा माना जाए. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कम से कम एनसीआर के क्षेत्र में आने वाले जिलों को ज्यादा से ज्यादा विकास मिलेगा और ज्यादा दूरी वाले जिलों को एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के ऐसे तमाम प्रतिबंधों से मुक्ति मिल जाएगी, जो उनके लिए जरूरी नहीं हैं.

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इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्र सरकार खासकर एनसीआर योजना बोर्ड को अपनी बात से अवगत करा दिया है. अब हरियाणा विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष और गुरुग्राम के भाजपा विधायक सुधीर सिंगला ने एनसीआर योजना बोर्ड के सचिव को पत्र लिखकर ऐसे सभी जिलों को एनसीआर क्षेत्र से बाहर करने की मांग की है, जो दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर हैं. हालांकि सरकार के कुछ लोग एनसीआर क्षेत्र को 50 किलोमीटर तक सीमित करने के पक्ष में हैं, लेकिन अगर इसे 100 किलोमीटर तक भी मान लिया जाए तो लाखों लोगों की परेशानी कम हो सकती है.

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हरियाणा के 13 जिलों में एनसीआर क्षेत्र में फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, पलवल, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, नूंह, रेवाड़ी, भिवानी, नारनौल-महेंद्रगढ़, करनाल और जींद शामिल हैं। पूरे राज्य का 63 प्रतिशत हिस्सा एनसीआर क्षेत्र में शामिल किया गया है, लेकिन उन्हें फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है. एनसीआर की कुल सीमा 55 हजार किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है. इसे 35,000 किमी तक कम करने के सुझाव कई बार दिए जा चुके हैं. हालांकि केंद्र सरकार और एनसीआर योजना बोर्ड इस बात से सहमत हैं, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव में जुटी केंद्र सरकार फिलहाल इस तरफ ज्यादा गंभीरता से नहीं देख पा रही है.

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विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष सुधीर सिंगला ने सुझाव दिया है कि गुरुग्राम, नोएडा, बहादुरगढ़, सोनीपत और फरीदाबाद को भी एनसीआर में शामिल करना उचित है, लेकिन बाकी जिलों को एनसीआर का हिस्सा बनाने का कोई फायदा नहीं है. करनाल, चरखी दादरी, जींद, महेंद्रगढ़, पानीपत और भिवानी समेत कई इलाके ऐसे हैं, जिन्हें एनसीआर क्षेत्र में शामिल किए जाने का कोई औचित्य नहीं है. उत्तर प्रदेश के दो जिले मुजफ्फरनगर के जनसठ और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील भी एनसीआर के दायरे से काफी बाहर हैं. राजस्थान का अलवर जिला एनसीआर के करीब है. जब भी सुप्रीम कोर्ट या एनजीटी किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध लगाता है, तो आधे से ज्यादा हरियाणा इसकी चपेट में आ जाता है, जबकि उसे कोई फायदा नहीं होता है.

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ये 6 कारण

एनसीआर का दायरा कम करने, 10 साल पुराने पेट्रोल और 15 साल पुराने डीजल वाहनों को हटाने से हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित होगा. प्रदूषण की स्थिति में यहां के ईंट भट्ठों को भी सबसे ज्यादा बंद किया जाता है, जब भी वायु प्रदूषण फैलता है तो सारा दोष हरियाणा पर पड़ता है. खनन, स्टोन क्रेशर और निर्माण कार्य बंद होने से हर साल विकास की गति बाधित होती है. लाखों पेट्रोल और डीजल वाहनों को चलन से बाहर करना होगा. एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड पर्यावरण संरक्षण के नियमों से उद्योग धंधे बाधित होते हैं.

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