चरखी दादरी | हरियाणा की अनाज मंडियों में 15 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू हो चुकी है. सरसों का MSP 5,450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है लेकिन सरकार ने खरीद प्रक्रिया में कुछ ऐसे नियम लागू किए हैं, जिन्हें पूरा करना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है. ऐसी स्थिति में किसान या तो औने पौने दामों पर सरसों बेचने पर मजबूर हो रहा है या फिर सरसों वापस घर लेकर आना पड़ रहा है.
बता दें कि सरकार ने 8 प्रतिशत नमी तक सरसों खरीद का अधिकार दिया है. अगर इससे ज्यादा नमी होती है तो किसान की सरसों की सरकारी खरीद नहीं होगी. ऐसे में परेशान किसान प्राइवेट आढ़तियों को कम दाम पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर हो रहा है. बता दें कि प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में अधिकांश क्षेत्रों में बारिश हुई है जिसकी वजह से सरसों में नमी बढ़ गई है. वहीं, सरकारी खरीद न होने पर सरसों को वापस घर लें जाने पर भी कड़ी मशक्कत झेलनी पड़ रही है.
1 दिन में खरीदी जाएगी 25 क्विंटल सरसों
मार्केटिंग बोर्ड के सचिव ने बताया कि सरकार द्वारा तय नियमों के मुताबिक ही, सरसों की सरकारी खरीद हो रही है. सरकार ने नियम बनाया है कि एक दिन में एक किसान से केवल 25 क्विंटल सरसों ही खरीदी जाए और इसमें भी वही किसान हो जिन्होंने मेरी फसल- मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है. तारीख व जिस दिन का नंबर होगा, उसी दिन यह फसल खरीदी जाएगी.
नियमों के हेरफेर में उलझे किसानों का कहना है कि सरकार को नियम किसानों के फायदे के लिए बनाने चाहिए न कि नुकसान. लगातार मौसम परिवर्तनशील रहने से सरसों में नमी बढ़ गई है तो इसमें किसान का क्या दोष है. वहीं सचिव का कहना है कि किसान सरसों को घर से सुखाकर लाए ताकि मंडी में आते ही उनकी फसल की सरकारी खरीद हो सकें.
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