चरखी दादरी | हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव अख्तयारपुरा की रहने वाली शर्मिला ने भारी वाहन चालक बनकर समाज के सामने नई मिसाल कायम की है. शर्मिला ने एक बार ट्रैक्टर ड्राइविंग सीखते हुए ताने सुने थे. इसके बावजूद शर्मिला का संघर्ष रंग लाया और अब वह एक ड्राइवर के रूप में डीटीसी में शामिल हो गई है. अब वह राजधानी की सड़कों पर डीटीसी की बस चला रही हैं.
इन तानों को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और उनका संघर्ष रंग लाया. शर्मिला का कहना है कि जब उन्हें ताना मारने वाले ही ड्राइवर की तारीफ करते हैं तो उन्हें खुशी होती है. वहीं, उनकी मौसी सास कमला देवी ने बताया कि शर्मिला ने संघर्ष कर गाड़ी चलाना सीखा है. उनकी बहू दिल्ली में डीटीसी की बसें चलाती हैं इसलिए उन्हें शर्मिला पर गर्व है.
समय मिलने पर घर के काम करती है शर्मिला
समय मिलने पर शर्मिला घर के काम भी करती हैं. वहीं, ग्रामीण पवन कुमार ने बताया कि शर्मिला ने संघर्ष किया और डीटीसी में नौकरी मिल गई. पहले लोग ताना मारते थे लेकिन अब गांव की बहू पर गर्व है कि वह दिल्ली में डीटीसी की बस चला रही है. शर्मिला को जब समय मिलता है तो वह घर पर जाकर काम भी करती हैं.
मिलिए शर्मिला से।
कुछ साल पहले तक शर्मिला साइकिल चलाना भी नहीं जानती थी लेकिन आज वो दिल्ली सरकार द्वारा बस ड्राइविंग की ट्रेनिंग ले कर डीटीसी (@dtchq_delhi) की बसें चला रहीं हैं। pic.twitter.com/GlIb093HQ3— Transport for Delhi (@TransportDelhi) September 17, 2022
समाज में एक यही माइंड सेट हो चुका है कि भारी वाहनों को केवल पुरुष ही चला सकते हैं और अक्सर हम पुरुष को ही वाहनों को चलाते हुए देखते हैं. उसके बाद जब शर्मिला ने भारी वाहनों को चलाने की ओर रुख किया तो समाज ने भी उनको प्रोत्साहन करने की बजाय पीछे धकलेना आरंभ कर दिया है. जो इंसान समाज की बातों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ता है वही आगे चलकर कामयाब होता है. ठीक उसी तरह से शर्मिला ने मन में ठानी और वह आज डीटीसी में बस ड्राइवर की नौकरी कर रही हैं.
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