चरखी दादरी | आधुनिकता के दौर में बेटा- बेटी में ज्यादा अंतर नहीं समझा जा रहा है. आज बेटियां खेल मैदान से लेकर देश की रक्षा करने की बात हो, हर फील्ड में मनुष्य के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा के चरखी दादरी (Charkhi Dadri) में दंगल गर्ल के नाम से मशहूर गांव बलाली में मांगेराम ने अपनी पोतियों की बेटों की तर्ज पर घुड़चढ़ी कराई.
ग्रामीणों ने जमकर की सराहना
दोनों पोतियों घोड़ी पर सवार हुईं और लड़कों की तर्ज पर परिजनों ने शादी की अन्य रस्में निभाईं. शुक्रवार रात दोनों बेटियों की घुड़चढ़ी निकाली गई, तो गांव के लोगों ने दादा मांगेराम की इस पहल की जमकर सराहना की. वहीं, घुड़चढ़ी में शामिल परिजनों ने गीतों पर नाचकर शादी की खुशियों को एंजॉय किया.
लड़का- लड़की के भेदभाव को समाप्त करना
दुल्हन बनी लड़कियों के पिता ने कहा कि गांव बलाली में लड़कियों की घुड़चढ़ी निकालने से सभी ग्रामीण खुश नजर आ रहे हैं. परिवार ने बड़ी खुशी से लड़कियों का बेटे की तरह ही पालन- पोषण किया है. उनका उद्देश्य है कि समाज में लड़का- लड़की के भेदभाव को समाप्त कर लड़कियों को भी लड़कों के बराबर दर्जा मिलना चाहिए.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योत्सना सांगवान ने बताया कि उन्होंने लड़कियों की घुड़चढ़ी निकालनें के लिए दादा और पिता के सामने आग्रह किया. मुझे खुशी है कि उन्होंने इस बात को तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया. इससे समाज में जागरूकता पैदा होगी और अन्य लोग भी इस तरह की पहल के लिए आगे आएंगे. उन्होंने कहा कि बलाली गांव इससे पहले भी एक सराहनीय पहल कर चुका है. यहां हर घर में बेटी के नाम से नेम प्लेट लगाने की शुरुआत की जा चुकी है.
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