सिनेमा जगत | हमारे द्वारा जाने अनजाने में कई ऐसे वाकये हो जाते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से किसी की भावनाओं को आहत कर देते हैं.
ऐसी ही एक घटना सपना चौधरी के साथ हुई थी जब एक रागनी के गाने पर उनके खिलाफ एससी- एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसके चलते जिला अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत की मांग को खारिज करते हुए मामला हाईकोर्ट में भेज दिया था जहां सपना चौधरी को क्लीन चिट देते हुए केस को बंद किया गया.
इसी क्रम में एक मामला हिसार के एक युवक पर दर्ज किया गया है. जिसे चार पांच दशक पुरानी एक रागनी पर डांस करना महंगा पड़ गया है. युवक पर भी एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है .अतः गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस फतेह सिंह ने कहा कि चार पांच दशक पुरानी रागनी की धुन पर डांस करने से किसी की भावनाएँ कैसे आहत हो सकती हैं?
यह बहस का मुद्दा है जिसपर उचित कार्यवाही एवं मुक़दमें के निपटारे के बाद ही निर्णय लिया जा सकता है. दरअसल 15 जून 2020 को याची मंदीप कुमार के खिलाफ हिसार के एचटीएम पुलिस स्टेशन में इस बाबत मामला दर्ज किया गया कि उसने जगदीश चंद्र वत्स की एक रागनी की धुन पर टिक टॉक वीडियो बनाते हुए नृत्य किया है. जिससे एक विशेष समुदाय की भावनाएं आहत होती हैं, जिसके पक्ष में याची के वकील ने दलील दी है कि धुन पर नृत्य करना कैसे किसी की भावनाओं को आहत कर सकता है ? क्योंकि याची न तो कोई रचनाकार है ,ना लेखक है.
वह केवल मनोरंजन के लिए वीडियो बना रहा था और अन्य कोई भी ऐसे कृत्य या कोई रिकॉर्ड याचिकाकर्ता के पास से बरामद नहीं हुए हैं. ऐसे में उसे गिरफ्तार करना न्यायसंगत नहीं है. कोर्ट ने भी उसके पक्ष में यह बात रखते हुए दलील दी है कि याचिकाकर्ता के पास ऐसा कुछ भी बरामद नहीं हुआ है. अतः उसने मनदीप कुमार को आदेश दिया कि वह नियमित कोर्ट ट्रायल में आता रहे एवं जांच में सहयोग करें जिससे संतुष्ट होने के बाद उसे नियमित जमानत दे दी जाएगी.
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