नई दिल्ली । हाल में द कश्मीर फाइल्स चर्चा में चल रही है. लोग इसे देख भावुक हुए हैं. सिनेमा हॉल के विडियोज बता रहे हैं कि इस फ़िल्म ने लोगों की भावनाओं को कैसे छुआ है. 11 मार्च को रिलीज़ हुई द कश्मीर फाइल्स में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई बर्बरता को दिखाया गया है. ये तक देखा जा रहा है कि फ़िल्म देखने वाले सिनेमा हॉल से रोते हुए निकल रहे हैं. कश्मीरी पंडितों के साथ हुई हैवानियत को देख कर दर्शक खुद पर काबू ना पा सके.
इन सभी में जो वीडियो सबसे ज्यादा वायरल हुआ है वो एक कश्मीरी पंडित महिला का जिसमे वो विवेक अग्निहोत्री के पैरों में गिर गई और एक्टर दर्शन कुमार के गले लग कर रोने लगी. वो रोते हुए कहने लगीं ‘ सबने हमारे नरसंहार का सच छुपाया,मेरे चाचा को ऐसे ही क्रूरता से मारा गया था,सिर्फ आप हमारा सच बाहर लाए, आप हमारे भगवान हो ‘.
90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार इतिहास में काले अध्याय की तरह हैं. अब जब लोग इस हैवानियत को परदे पर देख रहे हैं तो वो खुद पर काबू नहीं कर पा रहे. उस वक्त कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से बेदखल किया गया, हिंदुओं के खिलाफ़ नारेबाज़ी हुई, उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर किया गया.
फ़िल्म में दिखाए गए वीडियो में बिट्टा कराटे को 20 लोगों के कत्ल को कुबूल करते हुए दिखाया गया है,जिनमे कश्मीरी पंडित भी थे. उसने बताया कि पहले कत्ल करने पर उसे कुछ अजीब लगा लेकिन फिर सब ठीक लगने लगा. वो बिना नकाब के सड़को पर उतर लोगों को मौत के घाट उतार देता है. वो कुबूल करता है कि उसने पाकिस्तान से ट्रेनिंग ली और आतंकवादी बना.
कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चेयरमैन बिट्टा कराटे
अब बिट्टा कराटे कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चेयरमैन है बिट्टा कराटे. 2006 में उसे जम्मू की टाडा कोर्ट से रिहा कर दिया गया. 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद बिट्टा कराटे राजनीति में कूद गया था. राजनीति में आने से पहले उसने नरसंहार को लेकर अपने ऊपर लगे आरोप कुबूले थे. लेकिन बाद में पलट गया.
फर्स्टपोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में विवेक ने बताया ‘ मैंने और पल्लवी जोशी ने अलग अलग रिसर्च करने का फैसला लिया. हमे कश्मीर की सच्चाई के बारे में कोई अंदाजा नहीं था. हमने दुनिया भर के कश्मीर नरसंहार के 700 से अधिक पीड़ितों का इंटरव्यू लिया.हमने उनकी कहानियों को सुना और रिकॉर्ड किया. जब भी हम कोई कहानी सुनते हमारी आंखें सूज जाती.
विवेक ने आगे कहा मैं इसलिए नहीं रोया की कोई मरा, मैं अपने आप पर रो रहा था. ये आत्म दया थी. मैने अपने मन में सोचा कि ये कैसे संभव है कि इतने लोगों को मारा गया, महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और उनके ब्रेस्ट काट दिए गए. इसके बारे में कोई बात नहीं करता. मैने और पल्लवी ने राजनीति में ना आने का फैसला किया और एक ऐसी मानवीय कहानी बताई जो कभी नहीं सुनी गई.
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