नई दिल्ली । कोरोनावायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रोन (Omicron ) वैक्सीन के प्रभाव को भी बेअसर कर सकता है. बता दें कि शुरुआती आंकड़ों के आधार पर पूरी दुनिया के एक्सपर्ट द्वारा ऐसा दावा किया जा रहा है. वहीं ब्रिटेन की स्टडी में पाया गया कि कोविड -19 वैक्सीन की तीसरी डोज ओमिक्रोन के खिलाफ इंसान की प्रतिरोधक क्षमता को 88% तक बूस्ट कर सकती है. दूसरे डोज की तुलना में बूस्टर म्यूटेट हुए वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है. जिसका असर शरीर में 6 महीने बाद कम पड़ने लगता है.
ओमिक्रोन से बचने के लिए ऐसे बढ़ाए इम्यूनिटी
वहीं दूसरी ओर यूके हेल्प सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा भी रिपोर्ट साझा की गई. इस रिपोर्ट में सिक्रप्स रिसर्च ट्रांसलेशन इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर और मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ एरिक टोपोल ने कहा कि कोविड की दूसरी वैक्सीन लगने के बाद ओमीक्रोन के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता घटकर 52% तक रह जाती है. वहीं तीसरी बूस्टर डोज से इम्यूनिटी को काफी बढ़ाया जा सकता है. साथ ही इससे गंभीर लक्षणों के साथ कोविड इंफेक्शन की संभावना भी कम हो जाती है. डॉक्टर एरिक टोपोंल ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि तीसरी डोज लगने के बाद वैक्सीन की प्रभावशीलता का स्तर 52% से 88% तक बढ़ाया जा सकता है.
डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन में इमरजेंसी केयर या हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम लगभग आधा है. जैसे ही मरीज को दूसरी या तीसरी डोज लग जाती है उसके बाद ओमिक्रोन के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम भी कम हो जाता है. एक अनवैक्सीनेटेड इंसान की तुलना में 3 डोज लेने वाले इंसान के अस्पताल में एडमिट होने का जोखिम 81 फ़ीसदी तक कम हो जाता है. 5 से 17 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों में भी डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन इंफेक्शन से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है. स्टडीज में यह बात सामने आई है कि जिन भी लोगों ने को कोविशिल्ड के दो डोज लिए थे, उनमें दूसरे डोज के 5 महीने बाद ओमिक्रोन के खिलाफ कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
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