नई दिल्ली । कृषि कानूनों के विरोध में टिकरी बार्डर पर पिछले पांच महीनों से चल रहे किसान आंदोलन में एक बार फिर से पंजाब के लोगों के आने से पंडालों में भीड़ इकट्ठा होने लगी है. कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच बाहर से आकर आन्दोलनकारीओं की भीड़ में शामिल होने से यहां पर भी कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है.
गुरुवार को किसान नेताओं के साथ हुई बैठक में डीसी ने किसानों को कोरोना जांच करवाने व वैक्सीन लगवाने को कहा था लेकिन तब भी किसान नेता अधिकारियों को गोलमाल जबाब देकर चले गए थे. शुक्रवार को किसान नेताओं ने झज्जर डीसी के आग्रह के बारे में किसानों को अवगत तक कराना ठीक नहीं समझा.अब शहर के टिकरी बार्डर व नया गांव स्थित चल रहे आंदोलन में भीड़ बढ़ने , लगातार लोगों की आवाजाही और कोरोना से बचाव के किसी भी नियम का पालन न होने से आंदोलन स्थल पर संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा मंडराने लगा है.
आंदोलनकारी नहीं करवा रहे हैं कोविड जांच
गेहूं की फसल कटाई के बाद एक बार फिर से किसानों की भीड़ बार्डर पर जुटने लगी है. नया गांव में आंदोलन स्थल पर गुरुवार को करीब 5-7 हजार लोगों की भीड़ बढ़ी है. आंदोलन स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए आसपास के लोग भी सशंकित हो गए हैं और उन्हें कोरोना का भय सताने लगा है.टिकरी बार्डर पर स्थित बाजारों में दुकानदारों में कोरोना को लेकर डर बनने से वे भी अब इस बारे में बोलने लगे हैं. टिकरी बार्डर और आसपास के लोगों का कहना है कि सरकार को किसी भी तरह से इनको यहां से हटाना चाहिए क्योंकि न तो ये आंदोलनकारी अपनी कोविड जांच करवा रहे हैं और न ही रोड़ को खाली कर रहे हैं.
आंदोलनकारी भीड़ पड़ सकती है शहरवासियों पर भारी
कोविड 19 का दूसरा चरण बेकाबू होने लगा है. बहादुरगढ़ के अस्पतालों में बेड खाली नहीं है, आक्सीजन के लिए हाहाकार मची हुई है. रोजाना बड़ी संख्या में मरीज बहादुरगढ़ शहर से मिल रहे हैं. ऐसे में बिना जांच के सड़कों पर बैठे आन्दोलनकारी शहर के लोगों की थोड़ी सी लापरवाही पर भारी पड़ सकते हैं.
शुक्रवार को किसान नेताओं ने अपने संबोधन में साफ कहा कि मोर्चा किसी भी आंदोलनकारी किसान की कोरोना जांच प्रशासन को नहीं करने देगा. क्योंकि प्रशासन सरकार के इशारे पर उन्हें यहां से उठाने की साज़िश रच रहा है.