सोनीपत । सागर हत्याकांड में ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार का नाम आने पर आज पूरा हरियाणा सकते में हैं. प्रदेश के युवाओं की भी तमन्ना है कि वो सुशील कुमार की तरह देश दुनिया में अपना नाम कमाएं. इसके लिए युवा उन्हें अपना आदर्श मानकर अखाड़ों में दिन-रात मेहनत करते हैं. तमाम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाते है. आपको बता दें कि सुशील कुमार एकमात्र ऐसे पहलवान है जो ओलम्पिक में दो बार पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं. अब उसी सुशील कुमार के मर्डर जैसे जघन्य मामले में दोषी होने से पुरा देश स्तब्ध है. ऐसे ही मजबूत इरादों के साथ सागर के परिवार ने भी सागर का कुश्ती के प्रति प्रेम को देखते हुए दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम भेजा जहां उसकी मौत हो गई.
पहले तो सुशील कुमार ने घटनाक्रम को लेकर सफाई दी कि उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन जब दिल्ली पुलिस ने सागर हत्याकांड की जांच की तो सुशील भूमिगत हो गए. दिल्ली पुलिस को जांच के दौरान कुछ ऐसी वीडियो क्लिप मिली जिसमें सुशील कुमार अपने कुछ साथियों के साथ बुरी तरह से पिटाई करते हुए नजर आ रहे हैं. पुलिस ने इस मामले को लेकर दावा किया है कि उनके पास सुशील कुमार के खिलाफ पुख्ता सबूत है. पुलिस पहलवान सुशील कुमार का पीछा करते हुए हरियाणा के एक योग गुरु के आश्रम तक हरिद्वार भी पहुंची लेकिन सुशील वहां से भी गायब हो चुका था. सुशील ने वकीलों के माध्यम से अग्रिम जमानत की याचिका भी दायर की जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया. फिलहाल पहलवान सुशील कुमार को भगौड़ा घोषित किया हुआ है जिसके सिर पर एक लाख का इनाम रखा गया है.
वैसे सुशील कुमार पहले ऐसे पहलवान नहीं है जिनका नाम अपराध जगत में जाना गया हो. हरियाणा के बहुत से पहलवान है जो अपराध की दुनिया में फंसते चले गए. हां ओलम्पिक जैसे ऊंचे स्तर पर नाम चमकाने वाले सुशील कुमार पहले ऐसे पहलवान है जो अपराध की दुनिया में उतर गए. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि हरियाणा में पिछले डेढ़ दशक से ओलम्पिक और कामनवेल्थ गेम्स जैसी प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी मिल जाती है. अधिकतर पुलिस विभाग में चलें जातें हैं तो कुछ रेलवे विभाग ज्वाइन कर लेते हैं.
यदि पहलवान सुशील कुमार के अतीत पर नजर डाली जाए तो जो मान-सम्मान और प्रतिष्ठा उन्होंने हासिल की थी, उसके पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत होती है. लेकिन तीसरी बार ओलंपिक क्वालीफाई न करने की वजह से वह ऐसे गलत रास्ते पर चल पड़े जिसकी वजह से उन्हें जेल की हवा खानी पड़ सकती है. दरअसल 74 किलों भारवर्ग में जब देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्वालीफाई प्रतिस्पर्धा हो रही थी तो सुशील उसमें किसी वजह से पार्टिसिपेंट्स नहीं कर पाएं जिसके चलते 74 किलों भारवर्ग में एक अन्य पहलवान नरसिंह यादव ने क्वालीफाई कर लिया.
लेकिन एक नियम यह भी है कि क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ी की साल भर या छः महीने पहले फिटनेस परखी जाती है. इसलिए टीम रवानगी से पहले अंतिम ट्रायल का प्रावधान है. सुशील ने अंतिम ट्रायल की मांग उठाई जो जायज थी लेकिन उनकी मांग को ठुकरा दिया गया. इसके बाद नरसिंह यादव राई में साई के उतरी क्षेत्र में अभ्यास करने लगे. उनके पेय पदार्थ में स्टेरॉइड मिला जिसके लिए उन्होंने सुशील कुमार को दोषी ठहराया. लेकिन रियो ओलंपिक में नरसिंह प्रकरण की सुनवाई हुई तो स्पष्ट हुआ कि उन्होंने लगातार तीन सप्ताह स्टेरॉइड लिया है जिसके चलते उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया गया.इस घटनाक्रम से सुशील के साथ साथ देश का भी नुक्सान हुआ क्योंकि रियो ओलंपिक में सुशील कुमार पदक ला सकते थे.
दिल्ली पुलिस के सुत्र बताते हैं कि सुशील कुमार हरियाणा के गैंगस्टर्स के साथ मिलकर विवादित मकानों और संपतियों पर कब्जा करने लगे थे. इस हत्याकांड को भी इसी बात से जोड़कर देखा जा रहा है. विवादित मकानों पर सुशील कुमार अपने जूनियर पहलवानों को रहने के लिए बोल देते थे और समय आने पर खाली करवा लेते थे. लेकिन सागर और उसके साथियों ने फ्लैट खाली करने से मना कर दिया. जिसके बाद सागर व उसके साथियों को इतनी बुरी तरह से पीटा गया कि सागर की मौत हो गई. उसके बाद से ही पहलवान सुशील कुमार की पुलिस तलाश कर रही है.
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