चंडीगढ़ । प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में लगातार छात्रों संख्या गिर रही है. कोरोना काल के शुरु आती दौर से लेकर आज तक प्राइवेट स्कूलों में पहले वाले करीब 1.47 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में पलायन कर चुके हैं. इनमें 90,254 लड़के और 55,806 लड़कियां शामिल हैं, जो प्राइवेट स्कूल संचालकों की नीतियों से तंग आकर सरकारी स्कूलों की दहलीज तक पहुंचे है.
बच्चों का इस तरह से प्राइवेट स्कूलों से मोहभंग होने का कारण स्कूल संचालकों द्वारा जबरन फीस वसूली बताया जा रहा है. खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों में 8 प्रतिशत की छात्र संख्या में वृद्धि विभाग के लिए लाभदायक रहेगी. इससे जहां बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छा वातावरण मिलेगा, वही स्कूल प्रबंधन समितियां भी अधिक मजबूत होगी.
सरकारी शिक्षातंत्र पर बढ़ता जनविश्वास
शिक्षा विभाग का मानना है कि कोरोना काल में जहां प्राइवेट स्कूल के बच्चों का सारा काम अभिभावकों को करना पड़ता है, सरकारी स्कूलों ने यह मोर्चा निदेशालय और अध्यापकों ने संभाला हुआ है. एजुसेट के जरिए घर-घर में टीवी प्रसारण, पुस्तकों की व्यवस्था करना, अभिभावकों के साथ संपर्क बनाए रखना शामिल है. इसके अलावा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षण को निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार हर बन्दे तक सरलता व सुगमता से पहुंचाया है.
मोबाइल एप भी बनाया गया. डिजीटल डिवाइज को खत्म करने के लिए विभाग ने कई प्रयास किए. जिसकी बदौलत जनता का विश्वास सरकारी स्कूलों के प्रति बढ़ा है. 136 नए राजकीग संस्कृति मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बनाए गए. 1487 कलस्टर स्कूलों को साइंस स्कूल बनाया जा रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी कल्याणकारी प्रावधानों को लागू किया जा रहा है.
8वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों को निःशुल्क टेबलेट देगी सरकार
सरकार ने 8वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए निःशुल्क टेबलेट देने का निर्णय लिया है. इसमें सभी वर्गों सामान्य श्रेणी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ अल्पसंख्यक वर्गों के लड़के व लड़कियां शामिल है. इससे सरकारी स्कूलों के बच्चे डिजीटल ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठा सकेगे. टेबलेट में प्रीलोडिड कटेंट में डिजीटल पुस्तकों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के टेस्ट, वीडियो और अन्य सामग्री भी डाली जाएगी.
सरकार की इस योजना पर करीब 320 करोड़ रुपये खर्च होंगे ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के लाभ से वंचित न रह जाए. खास बात यह है कि इस योजना को मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा स्वीकृत किए जाने के बाद वित्त विभाग द्वारा भी स्वीकृति दे दी गई है. इसके अलावा इसकी खरीद के लिए प्रस्ताव महानिदेशक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को भेजा जा चुका है. जल्द ही यह टेबलेट बच्चों तक पहुंच जाएंगे.
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