नई दिल्ली | जो बच्चे JEE एडवांस में टॉप करते है उनमें से अधिकतर स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस और इसी प्रकार के इंजीनियरिंग कोर्स में ही प्रवेश ले रहे हैं. ‘कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग’ के लिए बच्चों में क्रेज इतना ज्यादा है कि इसी कारण कई छात्र IIT में भी एडमिशन नहीं ले रहे हैं. दरअसल, आईआईटी का विकल्प छोड़ने वाले इन छात्रों को जेईई एडवांस रैंक के आधार पर आईआईटी मे कंप्यूटर साइंस के कोर्सेज में दाखिला नहीं मिलेगा. ऐसे में ये छात्र आईआईटी की अपेक्षा ट्रिपल आईटी, एनआईटी और बीआईटीएस जैसे अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं.
टॉप 100 में से 97 छात्र चुनते है कंप्यूटर साइंस कोर्स
इसकी प्रमुख वजह यही है कि इन संस्थानों में वे कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश ले सकते हैं. जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथारिटी की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, जेईई एडवांस में टॉप 100 रैंक लाने वाले में से 97 छात्रों ने कंप्यूटर साइंस के कोर्स को सेलेक्ट किया है. जो विद्यार्थी कोर इंजीनियरिंग ब्रांच में पंजीकृत हैं वे भी आईटी नौकरी लेना चाहते हैं. ऐसा माना जाता है कि आईटी सेक्टर में शुरू से ही आपको अच्छी सैलरी मिलती है इसीलिए ज्यादा छात्रों उसी ओर आकर्षित होते हैं.
छात्र और अभिभावक बिना सोचे समझे ले रहे निर्णय
शिक्षाविदों की मानें तो इस ट्रेंड को गलत बताया जाता हैं, उनका कहना है कि यह दुर्भाग्य है कि यह बढ़ता हुआ ट्रेंड कोर इंजीनियरिंग भूमिकाओं के महत्व को कम कर रहा है. बहुत बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक इस बारे में बिना- सोचे समझे निर्णय ले रहे हैं. इससे जुड़े कानून बनाने वालों और रेगुलेटरी बॉडी (नियामक निकायों) के साथ- साथ इंडस्ट्री का रोल भी संतोष देने वाला नहीं है.
इस पर कोई कार्रवाई नही की जा रही है. पूरी दुनिया के सामने जलवायु संकट, स्वच्छ पानी, खाद्य उत्पादन, ऊर्जा, यातायात, हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, मैटेरियल्स आदि की परेशानी आ रही है. इन दिक्क़तो का हल सिविल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, केमिकल, मैटेरियल साइंस जैसे कोर इंजीनियरिंग सेक्टर से ही हो सकता है. विशेष बात यह है कि अलग अलग इंडस्ट्री पूवार्नुमान इन सभी कफील्ड में बहुत अच्छी वृद्धि प्रदर्शित करते हैं.
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