चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार शिक्षा के क्षेत्र में आए दिन कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. बीते दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आधिकारिक तौर पर नई शिक्षा नीति 2020 को लांच किया और शिक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए. प्रदेश सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है.
हरियाणा सरकार ने विश्वविद्यालयों के पढ़ाई के स्वरूप को बदलते हुए दिलचस्प और सराहनीय कदम उठाया है. सामान्य तौर पर विद्यार्थी 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कॉलेजों में दाखिला लेते हैं लेकिन हरियाणा सरकार ने बीते दिन एक ऐसा फैसला लिया है कि अब नर्सरी से लेकर यूजी-पीजी तक के छात्र एक ही परिसर में शिक्षा प्राप्त करेंगे.
सरकार के फैसले के मुताबिक, अब राज्य के विश्वविद्यालयों में केजी (नर्सरी) से पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) तक की शिक्षा एक ही परिसर में मिलेगी. हालांकि पहले चरण में चार विश्वविद्यालय में इस तरह की व्यवस्था बनाई जा रही है और सकारात्मक परिणामों के बाद अन्य विश्वविद्यालयों में भी इस तरह की व्यवस्था को लागू किया जाएगा. गौर करने वाली बात यह है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आगामी सत्र 2021-22 में ही केजी के एडमिशन भी लिए जाएंगे.
पंचकूला में नई शिक्षा नीति लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अन्य महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में भी जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने कहा, नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में चार हजार प्ले-वे स्कूल खोले जा रहे हैं ताकि तीन साल की आयु से बच्चे की शिक्षा आरंभ की जा सके.
स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा को कौशल के साथ जोड़ा है. देश से बाहर के विश्वविद्यालयों तथा विदेश में रोजगार के अवसरों से अवगत कराने के लिए कालेजों में मुफ्त पासपोर्ट बनाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने सुपर- 100 कार्यक्रम की सफलताओं के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि सुपर -100 कार्यक्रम के तहत ट्रेनिंग लेेने वाले सरकारी स्कूलों के 25 युवाओं को आइआइटी में दाखिला मिला है. इसी प्रकार 72 युवाओं को अच्छे मेडिकल कालेजों में दाखिला मिला है.
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