नई दिल्ली | वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में तकनीक से सहज होना बहुत आवश्यक हो गया है. विशेषकर विद्यार्थी वर्ग व युवा वर्ग को. क्योंकि उन्हें इस कम्प्यूटरीकरण की भागदौड़ भरी जिंदगी से कदमताल करके चलना होगा. अतः उन्हें इसके प्रति ज्ञानवान होना फायदेमंद होगा. इसी दिशा में स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस ने एक उम्दा कदम उठाया है. इस पर विचार करते हुए उसने कोरोना संक्रमण के दौर में जहां स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है, वहीं गरीब बच्चे जो उन संसाधनों तक पहूंचने में समर्थ नहीं हैं उन्हे ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ने की दिशा में तकनीकी संसाधन मुहैया करवाने की तैयारी की है.
आरएसएस के द्वारा दलित और जंगली क्षेत्रों में जरूरतमंद बच्चों का सर्वे किया जा रहा है जिससे सामाजिक सहभागिता के जरिए उन तक संसाधन पहुंचाये जा सकें. जिससे वे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित न रहें. आरएसएस से प्रेरणा लेकर शिक्षा के क्षेत्र में संलग्न संगठन “शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास” के सचिव अतुल कोठारी ने बताया कि दलित व पिछड़े इलाकों में छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन न होने से उनकी पढ़ाई में कई कठिनाइयां सामने आईं हैं. जिसको ध्यान में रखते हुए इस एनजीओ ने आर्थिक सहभागिता के माध्यम से इन गरीब छात्रों को तकनीकी संसाधन उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया है. तथा साथ ही जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं उनको इस अभियान से जोड़ा जा रहा है जिससे उनके द्वारा दान किए गये टैबलेट जरूरतमंद बच्चों को दिए जाएं, जिसके माध्यम से वे शिक्षा से वंचित न रहें.
शिक्षा संस्कृति उत्थान ट्रस्ट के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने गुजरात सरकार की योजना की सराहना की. जिसमें स्कूली बच्चों को केवल हजार रुपये में टैबलेट मिलता है. उनके अनुसार इस तरह की योजनाएं चलाकर अन्य राज्य सरकारें भी जरूरतमंद छात्रों की ऑनलाइन शिक्षा की राह को आसान बनाने में सहयोग कर सकती हैं. चूंकि आधुनिक शिक्षा इस समय की मांग है इसलिए सभी सरकारों को मिल कर इस पर काम करना चाहिए जिससे भारत के उज्ज्वल भविष्य के सपनों को पंख लग सकें.
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