फरीदाबाद के खोरी गांव के 10 हजार घरों में चलेगा प्रशासन का बुलडोजर, जानिए क्यों

फरीदाबाद | हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अरावली वन क्षेत्र में बसा खोरी गांव को लेकर बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा की अरावली वन क्षेत्र के खोरी गांव में अवैध रूप से जंगल की जमीन में बने 10 हजार घरों को हटाने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने यह फैसला सुनाया.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में फरीदाबाद नगर निगम और संबंधित पुलिस को अवैध रूप से बने घरों को हटाने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि प्रशासन जल्द से जल्द जमीन को खाली कराएं और जरूरत पड़ने पर पुलिस सख्ती भी दिखाएं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जंगल की जमीन को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा. हालांकि हाई कोर्ट मामले को लेकर पहले ही आदेश दे चुका था लेकिन जब प्रशासन के लोग अवैध रूप से बनाए गए घरों को हटाने पहुंचे तो वहां रह रहे लोगों द्वारा उनका विरोध किया गया. कई बार प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच विवाद भी देखने को मिला. वहां रह रहे लोगों का कहना था कि बिना नोटिस के उनके घरों को तोड़ा जा रहा है जबकि उनके घर अवैध जमीन पर नहीं बने हैं उन्होंने इस जमीन को खरीदा है.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि हमारी राय में याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फरवरी 2020 और अप्रैल 2021 में अपने आदेश में दिए गए नियमों से बाध्य है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा, नगर निगम फरीदाबाद फरवरी 2020 के अनुसार ही आगे बढ़ेगा, एक निगम को बेदखली के आदेश को पूरा करने और वन भूमि को अतिक्रमण से हटाने के लिए राज्य आवश्यक रसद सहायता भी देगा. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि बेदखली और विरोध होने की प्रक्रिया में डीसीपी फरीदाबाद की जिम्मेदारी है कि वो निगम के अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान

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