फरीदाबाद | सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग के एक नोटिस से फरीदाबाद जिले के एक गांव में हड़कंप मच गया है. यहां गांव अनंगपुर में सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग को लोगों के घरों को तोड़ने का आदेश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करते हुए वन विभाग द्वारा नोटिस जारी करने से हजारों लोगों के सामने बेघर होने की स्थिति पैदा हो गई है. अपने आशियानों को टूटने से बचाने के लिए ग्रामीणों ने सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से गुहार लगाई है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने करीब 3 महीने पहले अरावली पर्वत श्रृंखला में पीएलपीए सेक्शन-4,5 लागू होने के बाद किए गए अवैध निर्माणों को तोड़ने के संदर्भ में आदेश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों में 1980 को आधार बनाकर आदेश जारी किए गए थे जबकि स्पेशल सेक्शन-4, 5 साल 1992 में लागू किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद वन विभाग ने गांव अनखीर व मेवला के अधीन आने वाले क्षेत्रों में तो एक महीने पहले ही अवैध निर्माणों को तोड़ने के संदर्भ में नोटिस जारी कर दिए थे लेकिन गांव अनंगपुर के रकबे में बने मकानों को हाल ही में बाय पोस्ट नोटिस जारी किए गए थे.
गांव में 2800 घरों को ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं. वन विभाग द्वारा आदेश जारी करने के बाद गांव अनंगपुर के लोगों के उपर तोड़फोड़ की तलवार लटक गई है. ऐसे में ग्रामीण अपने आशियानों को बचाने के लिए दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि 1305 ईस्वी में राजा अनंगपाल द्वारा गांव अनंगपुर बसाया गया था. उस दौरान जो गांव की सीमा निर्धारित हुई थी, उसी के तहत ग्रामीणों ने अपने आप को बसा लिया था. ग्रामीणों ने कहा कि आबादी बढ़ने के हिसाब से अगर थोड़ा बहुत क्षेत्र बढ़ भी गया है तो प्रदेश सरकार का कर्तव्य बनता है कि आमजन के हितों का ख्याल रखते हुए लाल डोरे का क्षेत्रफल बढ़ा दें.
वहीं, ग्रामीणों ने खट्टर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वे अपने आशियानों को किसी भी कीमत पर नहीं उजड़ने देंगे. इसके लिए बेशक उन्हें अपनी जान भी दांव पर क्यों न लगानी पड़े.
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