फरीदाबाद | मानव रचना शिक्षण संस्थान में बी.टेक द्वितीय वर्ष की छात्रा वर्तिका सिंह आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी गढ़ रही हैं. वह दिन में कॉलेज जाती है और शाम 5.30 बजे ग्रीनफील्ड के गेट नंबर चार के पास एक चाय की दुकान लगाती है. आजकल लोग उन्हें बीटेक चायवाली के नाम से जानते हैं. वह रात 10 बजे तक लोगों को चाय पिलाती हैं.
कोई भी काम छोटा नहीं होता
उन्होंने कहा कि समाज को यह संदेश देना चाहती हूं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता. वर्तिका ने अपने पैरों पर खड़े होने और पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए यह कदम उठाया है. कोई दूसरा काम नहीं मिला तो चाय की दुकान लगाने का सोचा और उसका नाम बीटेक चायवाली रखा. अब दूर-दूर से लोग उनकी चाय का लुत्फ उठाने आने लगे हैं. चाय पीने वाले वर्तिका के इस कदम की तारीफ करते नहीं थकते.
बिहार में हैं वर्तिका के माता-पिता
वर्तिका बताती हैं कि उनके माता-पिता बिहार के गोपालगंज जिले में रहते हैं. वर्तिका द्वारा चाय की दुकान लगाने से माता-पिता नाखुश हैं. वे वर्तिका को सरकारी नौकरी में देखना चाहते थे. लेकिन वर्तिका की सोच अलग है. वह खुद का कार्य शुरू करना चाहती है और इसे अगले स्तर तक ले जाना चाहती है. इसके लिए उन्होंने चाय की दुकान लगाने का काम चुना है.
धीरे-धीरे वह इस काम को इतना बढ़ा दें कि दूसरों को भी काम दे सकें. उनका मानना है कि एक अच्छा स्टार्टअप जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है. वह नौकरी मांगने और देने में विश्वास रखती है. वर्तिका यहां ग्रीनफील्ड में रहकर पढ़ाई कर रही हैं. ठेला लगाने के लिए उसने अपने माता-पिता से भी मदद नहीं ली. कॉलेज से मिली छात्रवृत्ति के पैसे से काम शुरू किया. अब वह ठेले पर होने वाली कमाई से कॉलेज की फीस समेत अपना सारा खर्चा निकाल रही है.
वर्तिका की चाय में है एक खास बात
वर्तिका बताती हैं कि अगर कोई काम करना है तो कुछ अलग अंदाज होना चाहिए. इसलिए वह ठेले पर तीन तरह की चाय बनाती है. सामान्य चाय 10 रुपये, विशेष मसाला और नींबू चाय 20-20 रुपये है. वर्तिका भी अपने घर पर ही मसाले तैयार करती हैं. मसालेदार चाय लोगों को बहुत पसंद आती है. बुजुर्ग से लेकर युवा भी चाय पीने आ रहे हैं। मसालों में लौंग, इलायची, काली मिर्च, सोंठ आदि का प्रयोग किया जाता है. मसाले बनाने का तरीका भी अलग होता है.
मसाले बनाने की विधि को गुप्त रखने के लिए वर्तिका ने पूरी विधि बताने से इनकार कर दिया. इसके अलावा चीनी लोग सल्फर-फ्री का भी इस्तेमाल करते हैं ताकि चाय का लोगों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. हालांकि यह चीनी थोड़ी महंगी है, लेकिन उनका कहना है कि चाय को सेहतमंद बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जाती है.
देश भर में खुलेंगे चाय के ठेले
वर्तिका के मुताबिक, चाय की दुकान पर आने वाले ज्यादातर लोग उन्हें प्रोत्साहित करते हैं तो कुछ का कहना है कि बी.टेक करने के बावजूद चाय बेचेंगे. वह कहती है कि मैं नौकरी नहीं करूंगी लेकिन चाय की दुकान को ही एक्सटेंशन दे दूंगी. जिले में अन्य जगहों पर बीटेक चायवाली के नाम से चाय के स्टॉल लगाने का प्रयास किया जाएगा, फिर राज्य और देश में. उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं, जब काम विस्तार का रूप ले लेगा तो सबकी बात बंद हो जाएगी.
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