बल्लभगढ़ । फरीदाबाद के बल्लभगढ़ क्षेत्र में बनी गौशाला के लिए गोबर व गौमूत्र आर्थिक आय का साधन बन गया है. बता दें कि ऊंचा गांव में बनी ये गौशाला गोबर व गौमूत्र से व्यवसायिक सामान तैयार कर रही है, जिन्हें लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं. गौशाला में गोबर व गौमूत्र से अगरबत्तियां, साबुन,दीये,हवन के उपले व लकड़ी के आकार के उपले सहित कई सामान तैयार किए जा रहे हैं, जिससे गौशाला की आर्थिक आमदनी में भी इजाफा हो रहा है.
प्रतीकात्मक तस्वीर
गौशाला में गायों के डाक्टर सत्यवान शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में गौशाला के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था और आर्थिक संकट से निपटने के लिए गौशाला संचालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में गौशाला संचालकों ने गौशाला से निकलने वाले गोबर व गौमूत्र को आर्थिक आय का साधन बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला लिया. उन्होंने गोबर व गौमूत्र से व्यवसायिक सामान तैयार करना शुरू कर दिया.
हालांकि शुरुआती दौर में इन सामानों को खरीदने में लोगों ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन समय के साथ इस सामान की डिमांड इतनी बढ़ने लगी कि दूरदराज से लोग सामान खरीदने गौशाला पहुंच रहे हैं. ऐसे में अब जल्द ही इन सामानों को बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू करने की योजना तैयार की जा रही है.
बता दें कि मानव सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित इस गौशाला में करीब 700 गाय है. गौशाला के डाक्टर सत्यवान ने बताया कि एक समय था जब गौशाला से निकलने वाले गोबर को खेतों में डाल दिया जाता था लेकिन अब लोगों की आस्था व सुविधा का ख्याल रखतें हुए गाय के गोबर से लकड़ी के आकार के गोकाष्ट बनाए जा रहे हैं. इससे दाह संस्कार आदि में सुविधा हो रही है. उन्होंने बताया कि इन सामानों के उपयोग से वातावरण तो स्वच्छ हो ही रहा है, साथ ही इससे बने सामानों से घर का माहौल भी महक उठता है क्योंकि इस सामान में किसी भी प्रकार के केमिकल की मिलावट नहीं की जाती है. गौशाला में तैयार इस सामान की लोग खूब सराहना कर रहे हैं.
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