फरीदाबाद | भारत में आमतौर पर 10 साल की उम्र में बच्चे खेलते हैं या फिर इधर- उधर टहलते रहते हैं लेकिन फरीदाबाद के हेमंत ने महज 10 साल की उम्र में ही कुछ ऐसा कर दिखाया है कि आज हर कोई दंग रह गया है. जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, उस उम्र में 10 साल के हेमंत ने हरिद्वार से होडल तक कावड़ लाने का फैसला लिया. हेमंत कावड़ लेने के लिए रवाना हो गए थे कि हरिद्वार से कावड़ लेकर भी फरीदाबाद वापिस पहुंच गए हैं. इतनी सी उम्र में उनकी ओर से किए गए काम की आज हर कोई तारीफ कर रहा है.
हेमंत की हिम्मत को लोग कर रहे सलाम
कावड़िये हेमंत ने बताया कि वे हरिद्वार से चलकर फरीदाबाद पहुंच गए हैं. उन्होंने आगे बताया कि उसने 4 तारीख को हरिद्वार से कावड़ उठाई थी और वह अपने गांव होडल के शिव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करेगा. हेमंत की हिम्मत को आज हर कोई सलाम कर रहा है. लोग इस बात पर आश्चर्य कर रहे हैं कि इतनी सी उम्र में लोग खेलने अथवा टहलने की सोचते हैं लेकिन हेमंत ने इतनी सी उम्र में कावड़ लाने की कैसे सोची.
पैदल यात्रा करते हुए 7 दिन बाद फ़रीदाबाद पहुंचे हेमंत
बता दें कि महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जहां लाखों की संख्या में कावड़िये अपने मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए गोमुख और हरिद्वार से कावड़ लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं. अब इस एपिसोड में मासूम बच्चे भी भगवान शिव की भक्ति में लीन नजर आए. मूल रूप से होडल के रहने वाले 10 वर्षीय हेमंत ने अपने परिवार के साथ कावड़ लाने का फैसला किया. इसलिए हेमंत ने 4 तारीख को हरिद्वार से कावड़ उठाई और 7 दिन की पैदल यात्रा कर फरीदाबाद पहुंच गए.
जानकारों का कहना है कि इंसान की उम्र मायने नहीं रखती है. अगर आप के अंदर कुछ करने की हिम्मत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं लेकिन आप डरपोक हैं तो आप फिर आप कुछ भी नहीं कर सकते. इंसान को भगवान ने बहुत शक्तिशाली बनाया है लेकिन इंसान को अपनी शक्तियों को प्रयोग में लेना आना चाहिेए. अगर इंसान अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं जानता तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है.
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