हरियाणा के इस जिले की विशाल मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र, द्वापर युग से जुड़ा हुआ यहां का इतिहास

फरीदाबाद | हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जिसका इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. जिस जगह की हम बात कर रहे हैं यह होडल के गांव भुलवाना से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां भगवान श्री कृष्ण ने अपनी अद्भुत लीलाएं की थी. ऐसी मान्यताएं हैं कि एक दिन भगवान श्री कृष्ण अचानक यहां से गायब हो गए और वन में स्थित एक तालाब से हनुमान जी के रूप में प्रकट हुए.

Anjani Kund

100 से ज़्यादा एकड़ में फैला है ये वन

यहां आज भी बजरंगबली की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है. हर मंगलवार और शनिवार को यहां पूजा पाठ के लिए दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं और अपने आराध्य की पूजा- अर्चना करते हैं. यहां स्थित चमेली वन 100 एकड़ से ज्यादा के एरिया में फैला हुआ है. यहां चमेली और कदम के पेड़ लगे हुए हैं. इसके अलावा, अन्य सुगंधित पेड़ पौधे वातावरण को और ज्यादा रमणीय बनाते हैं. लोगों को यह काफी आकर्षित करते हैं. जो लोग मथुरा- वृंदावन की यात्रा पर जाते हैं, उनमे से अधिकांश श्रद्धालु यहां जरूर आते हैं. यहां स्थित हनुमान जी का मंदिर और एक पवित्र सरोवर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस मंदिर में भगवान श्री राम, कृष्ण, शिव और शनिदेव के मंदिर भी स्थापित हैं.

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द्वापर युग से जुड़ा हुआ इतिहास

इस वन का उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. मान्यताएं हैं कि यहां का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. ऐसा बताया जाता है कि उस दौरान भगवान श्री कृष्ण इस वन में अपने गायों को चराने के लिए आते थे. इसके अलावा, कई ऐसे प्रसंग भी सुनने को मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि भगवान श्री कृष्ण और इस वन का आपस में गहरा संबंध रहा है. यहां वन में अंजनीकुंड भी स्थापित है. इसका भी काफी पौराणिक महत्व बताया जाता है.

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ऐसा माना जाता है कि महारास के समय जब यशोदा बालकृष्ण को ढूंढते हुए यहां तक आई, तो उस समय भगवान श्री कृष्ण गोपियों से घिरे हुए थे, जिस कारण वह डरकर इस कुंड में कूद गए. कुछ समय बाद यहां से वह हनुमान जी के रूप में प्रकट हुए. यशोदा मां यह देखकर खुश हो गई और वापस लौट गई. तब से इस स्थान को अंजनीकुंड कहा जाता है.

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सबकी होती हैं मनोकामनाएं पूरी

जो लोग भी यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामनाएं मानते हैं तो उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है. ऐसा भी मान्यताएं हैं कि जब सुबह और शाम को आरती के समय शंख बजता है तो कुत्ते स्वयं आवाज निकालते हैं और जब तक आरती समाप्त नहीं हो जाती. वह मंदिर के बाहर ही खड़े रहते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने यशोदा मां को इस हवन कुंड में हनुमान जी के रूप में दर्शन दिए थे. अपने आप में यह एक अनूठा और अलौकिक अनुभव है. यहां स्थित कुंड का भी अपना पौराणिक महत्व है.

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