फरीदाबाद | खेल मैदान में अपने खिलाड़ियों की बदौलत देश- दुनिया में राज करने वाले हरियाणा प्रदेश के लिए एक और गौरवमई खबर सामने आई है. फरीदाबाद के बल्लभगढ़ शहर के रहने वाले शुभम वशिष्ठ ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत अपने शहर का नाम विश्व पटल पर उंचा कर दिखाया है. उन्होंने विश्व बधिर शूटिंग चैंपियनशिप में भारत के लिए रजत और कांस्य पदक जीतकर विदेशी धरती पर तिरंगे का गौरव बढ़ाया है. यह प्रतियोगिता जर्मनी में आयोजित हुई है.
कड़ी मेहनत से किया खुद को साबित
शुभम पिछले 8 सालों से शूटिंग में अभ्यास कर रहा है. कक्षा बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने शूटिंग में ही अपना करियर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया था. स्कूली शिक्षा बल्लबगढ़ के रावल कान्वेंट स्कूल और बीकॉम और एमकॉम की पढ़ाई अग्रवाल कालेज से करने वाले शुभम की शिक्षा सामान्य बच्चों के साथ ही हुई है. हालांकि, बोलने और सुनने में शुभम कमजोर था, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से काम करते हुए खुद को साबित कर दिखाया.
कैबिनेट मंत्री ने किया स्वागत
जर्मनी के हैनोवर में आयोजित विश्व बधिर शूटिंग चैंपियनशिप में शुभम् ने 10 मीटर एयर पिस्टल एकल स्पर्धा में कांस्य पदक और 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतकर वतन लौटने पर शुभम के सम्मान में फरीदाबाद के 10 गुना शूटिंग रेंज से एक भव्य रैली निकाली गई, जहां कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने उनका स्वागत किया. परिजनों, दोस्तों और अन्य लोगों ने भी शुभम का एक हीरो की तरह स्वागत करते हुए कहा कि उनकी इस उपलब्धि ने हिंदुस्तान के साथ- साथ हरियाणा और बल्लभगढ़ का गौरव बढ़ाया है.
खेल नीति में सुधार की मांग
शुभम के पिता ने बेटे की उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. उनकी मेहनत और संयम ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. उसने अपने खेल को निखारने के लिए बहुत मेहनत की है और आज उसका सकारात्मक परिणाम हम सबके सामने है.
इसके साथ ही, हरियाणा सरकार से अपील करते हुए शुभम के पिता ने कहा कि बधिर खिलाड़ियों को भी पैरा- एथलीटों के बराबर सम्मान और पुरस्कार राशि मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि खेल नीति सभी के लिए एकसमान होनी चाहिए, जैसे अन्य राज्यों में लागू हैं. पिता ने कहा कि मेरे बेटे शुभम की सफलता यह साबित करती है कि बधिर खिलाड़ी भी सामान्य खिलाड़ियों की तरह उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं और उन्हें भी समान अवसर मिलना चाहिए.
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