फरीदाबाद | कहते हैं यदि हौसले बुलंद हों तो कोई मुश्किल हमें रोक नहीं सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया फरीदाबाद के दीपक तेवतिया ने. दीपक एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री में नौकरी करते थे लेकिन, नौकरी में उनका मन नहीं लगा. वह अपना काम करना चाहते थे इसीलिए नौकरी छोड़कर उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया. इसमें भी वो कहते हैं कि झूठ बोलकर काम होता था. जो उन्हें अच्छा नहीं लगता था, उन्हें लगता था कि झूठ बोलकर किया गया काम सफल नहीं होता.
प्रॉपर्टी डीलिंग से जब कुछ पैसे इकठ्ठे हो गए तो उन्होंने यह काम भी छोड़ दिया उनका मन खाना बनाने का काम करने का था, इसलिए उन्होंने अपने बचत के पैसों से एक रेस्टोरेंट खोला. लेकिन, यह भी सिर्फ 3 महीने ही चला. इसके बाद ये भी बंद करना पड़ा क्योकि दीपक की सारी बचत ख़तम हो चुकी थी. लेकिन, दीपक ने हार नहीं मानी और एक बार फिर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करके पैसे इकठ्ठे किये और एक फ़ूड वैन ले ली.
जिसमे खाना बनाकर वह खुद खाना लोगों को खिलाते. इसके बाद, उन्हें आईडिया आया कि क्यों न लोगों को कुछ नया बनाकर खिलाया जाये और उन्होंने दिल्ली में बनने वाला मक्खन पराठा बनाना शुरू किया. धीरे- धीरे लोगों को यह पसंद आने लगा और दीपक का खाने का काम चलने लगा. दीपक का आज फरीदाबाद में अम्बर दा ढाबा नाम का ढाबा चल रहा है. ये थी दीपक तेवतिया की सफलता की कहानी उन्होंने अपनी असफलताओं से सीख लेकर सफलता की मंजिल पायी, इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता.
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