फरीदाबाद | हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में पिछले 4 सालों से भिंडी की खेती कर रहे राजकुमार सालभर में ₹200000 आसानी से कमा लेते हैं. पट्टे पर ले रखे खेत में वह खुद खेती करते हैं. वह बताते हैं कि भिंडी के अलावा वह तोरई, घिया मिर्च व अन्य सब्जियों की खेती करते हैं. यदि फरवरी में भिंडी की खेती की जाए, तो आराम से साल में एक से दो लाख रुपए बचाए जा सकते हैं.
अपनाते हैं ये प्रक्रिया
जब फसल की बुवाई की जाती है तो उसे समय गुल बनाने पर 50 किलो डीएपी मिलाई जाती है. उसके बाद बीज चुबोया जाता है. फिर नलाब शुरू हो जाता है. उसके बाद दूसरे नलाब पर फिर डीएपी बिखरकर मिट्टी की तह लगाई जाती है. इसके बाद 50 किलो बीज मिलती है. जिस पर दवाइयां का प्रयोग चलता रहता है. पिछले 23 सालों से राजकुमार भिंडी की खेती कर रहे हैं. पिछले 5 सालों से तो वह बल्लभगढ़ में रहकर ही भिंडी की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा, वह तोरई की खेती भी करते हैं. उसके लिए भी यही प्रक्रिया अपना रहे हैं.
भिंडी में कीड़े लग जाने पर अपनाते हैं ये तरीका
भिंडी में कीड़े लग जाने पर वह इसके लिए दवाई 505 को इस्तेमाल करते हैं. कालिया और पाउडर का इस्तेमाल भी करते हैं. साल में दो बार भिंडी की बुवाई की जाती है. ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी- मार्च तथा वर्षा कालीन भिंडी की बुवाई जून- जुलाई में की जाती है.
राजकुमार बताते हैं कि उनके साथ इस काम में पूरा परिवार सहयोग करता है. उनके परिवार में 8 लोग हैं. एक लड़का उनके साथ खेतों में तथा दूसरा लड़का ड्राइवरी का काम करता है. पूरा परिवार इसी भिंडी की खेती से ही अपना गुजारा चलता है. वह साल भर में ₹200000 इस फसल से कमा लेते हैं.
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