फरीदाबाद | दिल्ली के लोगों के लिए खुशखबरी है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) ने दिल्ली से सटे फरीदाबाद में बड़ी सौगात प्रदान की है. जिसका फायदा हरियाणा को तो होगा ही साथ में दिल्ली एनसीआर के लोगों को भी होगा. सेहत के लिहाज से दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) की जनता को बुधवार को एक बड़ा तोहफा मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरीदाबाद के सेक्टर-88 में बने 2600 बेड के अस्पताल का उद्घाटन किया. इस अस्पताल में कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इसका सबसे ज्यादा फायदा दिल्ली-एनसीआर के लोगों को होगा.
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सुविधा को देखते हुए अस्पताल का निर्माण माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट द्वारा किया गया है. वर्तमान में पहले चरण की शुरुआत 550 बिस्तरों से होगी और इसमें सभी प्रमुख चिकित्सा सुविधाएं होंगी, जिसमें पुरातत्व, हृदय विज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, गैस्ट्रो विज्ञान, गुर्दे, ट्रॉमा प्रत्यारोपण, मातृ एवं शिशु देखभाल सहित 81 प्रकार की विशेष चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. बहुत कम लोगों ने माता अमृतानंदमयी के बारे में सुना होगा। आइए जानते हैं उनके बारे में….
माता अमृतानंदमयी का परिचय
माता अमृतानंदमयी, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया, एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक नेता हैं. उनके अनुयायी उन्हें अम्मा या अमाची (माँ) के नाम से संबोधित करते हैं, इसलिए उनके प्रशंसक ‘अम्मा’ के नाम से जानते हैं.
वर्ग, जाति, धर्म के बावजूद सभी के लिए हमेशा उपलब्ध रहने वाली अम्मा यानी अमृतानंदमयी को गले लगाने की आदत के कारण उन्हें ‘हगिंग सेंट’ के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि फिल्म ‘दर्शन-द आलिंगन’ ‘हगिंग सेंट’ के जीवन पर बनी है. फिल्म को आधिकारिक तौर पर 2005 के कान फिल्म समारोह में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था.
बचपन में होने लगे थे दिव्य अनुभव
माता अमृतानंदमयी के अनुयायियों और करीबी लोगों के अनुसार, उन्हें बचपन से ही दिव्य अनुभव हुए थे. परिवार वालों का यह भी कहना है कि वह बचपन में सबसे अलग दिखती थीं. उनका व्यवहार भी सामान्य नहीं था. बाद में माता अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट की स्थापना की. यह एक विश्वव्यापी संगठन है और यह पूरी दुनिया में धर्मार्थ कार्य करता है.
केरल से शुरू हुआ सफर, देश-दुनिया में फैला
दक्षिण के महत्वपूर्ण राज्यों में से एक केरल में वर्ष 1953 में जन्मे अमृतानंदमयी का परिवार बहुत गरीब था. आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बचपन में ही स्कूल छोड़ना पड़ा था. माता अमृतानंदमयी का परिवार मछली का कारोबार करता था. माता अमृतानंदमयी ने अपनी समृद्धि के बावजूद घर में हमेशा कमी देखी.
लोगों की सेवा के लिए शादी नहीं की
सेवा की भावना के कारण, अमृतानंदमयी ने अपना पूरा जीवन गरीब, असहाय और बेसहारों के नाम पर समर्पित कर दिया. यह भी सच है कि उनके माता-पिता ने उनकी शादी कराने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सेवा करने की बात कहकर मना कर दिया. दरअसल, वर्ष 1981 में कई आध्यात्मिक साधक परायकाडावू में अमृतानंदमयी के माता-पिता की संपत्ति पर रहने लगे. इसके बाद अमृतानंदमयी ने इस स्थान पर माता अमृतानंदमयी मठ (एमएएम) की स्थापना की. 6 साल बाद 1987 में लोगों के अनुरोध पर माता अमृतानंदमयी ने दुनिया के कई देशों में सभाओं का आयोजन किया.
बचपन से शुरू की सेवा
एक अभावग्रस्त परिवार में पली-बढ़ी माता अमृतानंदमयी के मन में बचपन से ही सेवा की भावना थी. माता अमृतानंदमयी के कुल छह भाई-बहन हैं और वे तीसरे स्थान पर हैं. कहा जाता है कि उन्होंने अपने गांव में आर्थिक रूप से गरीब लोगों को गायों और बकरियों का बचा हुआ खाना खाते देखा था. इसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा. शायद इसी वजह से उन्होंने जीवन भर लोगों की मदद करने का मन बना लिया.
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