फतेहाबाद में कार की बॉडी से बनाई अद्भुत नंदी सफारी, सैलानियों को आ रही है खुब रास

फतेहाबाद | सफारी नाम सुनते ही मन अपने आप पुलकित हो उठता है. वह चाहे रेगिस्तान सफारी हों या अन्य, रोमांच पैदा हो जाता है. कुछ ऐसा ही सुखद अहसास टोहाना की शिव नंदीशाला में होता है. लेकिन यहां रेगिस्तान सफारी में ऊंट की अहमियत से उपर कार और बैल, दोनों की संयुक्त सफारी का आनंद उठाया जा सकता है. कार की बॉडी वाली इस सफारी में सामाजिक सरोकारों से जुड़े मानव- मूल्यों के दर्शन होते हैं. साथ ही, सरकार के भरोसे गोवंश संवर्द्धन की बांट जोहने वाली गौशालाओं को आत्मनिर्भरता का मैसेज भी मिलता है.

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यह अनूठी पहल है , सैलानियों के लिए सुहाने सफर के माध्यम से नंदीशाला को आत्मनिर्भर बनाने का. आइडिया यूं आया कि शिव नंदीशाला के संयोजक व एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल धर्मपाल सैनी जब अपने स्कूल के बच्चों को टूर पर ले जाते तो बच्चे धरोहर दर्शन के दौरान बैलगाड़ी देखकर बहुत खुश होते थे . यहीं से मन में ख्याल आया कि क्यों न नंदीशाला में नंदी के सहारे सफारी की पहल की जाएं. प्लान किया गया कि कार की बॉडी और एक बहलवान के साथ नंदी का उपयोग किया जाएं.

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कोशिश परवान चढ़ी और तैयार हो गई सफारी और नाम दिया गया नंदी सफारी. फिर चल पड़ी हरियाली से पर्यावरण संरक्षण, रोजगार से ग़रीबी उन्मूलन, जोहड़ से जल संरक्षण आदि जैसे जीवन -मूल्यों के दर्शन की सफारी… . सफारी से होने वाली आमदनी से नंदीशाला की आत्मनिर्भरता… इस जज्बे को सलाम.

यूं बनी अद्भुत नंदी सफारी

कार मार्केट से 13 हजार रुपए में एक पूरानी इंडिका कार खरीदी गई. फिर नंदीशाला में ही गेट वगैरह का काम करने वाले नारायणगढ़ के प्रकाश को आइडिया से अवगत कराया. कार का इंजन वाला हिस्सा काटकर हटा दिया गया. शेष हिस्से को जूहा से जोड़ा गया. कार वाले हिस्से में म्यूजिक सिस्टम लगा दिया. तैयार हो गई अनूठी सफारी. एक नंदी के सहारे यह चलतीं है.

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दस रुपए टिकट

नंदीशाला परिसर लगभग सात एकड़ में फैला हुआ है. यहां राधिका गाय है तो कन्हैया नंदी भी. पूरे परिसर में हरियाली मौजूद है. परिसर में फैले मानव- मूल्यों के दर्शन करने में नंदी सफारी से दस मिनट का समय लगता है. टिकट का मूल्य 10 रुपए है.

शहर में भी चलाने की योजना

नंदीशाला संयोजक धर्मपाल सैनी ने बताया कि शनिवार और रविवार को सफारी के रोमांच का आनंद उठाने वालों की अच्छी- खासी भीड़ होती है. इस आमदनी से नंदीशाला में गोवंश के पालन-पोषण के लिए काफी सहायता मिलती है. अब इसे शहर में चलाने की योजना बनाई गई है.

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