फतेहाबाद । गरीब परिवारों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित होने का दावा करने वाली हरियाणा की मनोहर सरकार की सच्चाई का एक मामला आया है. यहां फतेहाबाद जिलें के गांव ब्राहमणवाला में एक परिवार सरकार की उपेक्षा के चलते गरीबी और लाचारी भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. गरीबी का आलम यह है कि घर में मौजूद 6 सदस्य 10×8 के कच्चे कमरें में अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं.
एकमात्र कमरें की इस छत पर छप्पर लगाकर मिट्टी डाली हुई है. कमरें के अंदर ही चूल्हा बना हुआ है और कमरें में दरवाजा तक नहीं है. इस परिवार को राशनकार्ड पर कोई सुविधा नहीं मिल रही है. घर में पीने के पानी का कनेक्शन तक नहीं है और पात्र होने के बावजूद अभी तक इस परिवार का बीपीएल कार्ड नहीं बना है.
परिवार का मुखिया सतपाल दिव्यांग हैं. सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं को लेकर सतपाल प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक गया है. बार-बार अधिकारियों से मुलाकात करने के बाबजूद भी इस परिवार की सरकार व प्रशासन की तरफ से सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है.
सतपाल ने बताया कि करीब दो साल पहले मकान ढह गया था तो आर्थिक तंगी के चलते उसे कच्चा कमरा तैयार करना पड़ा. इसी कमरे में खाना बनाने के लिए चूल्हा लगा हुआ है और अक्सर इस दौरान डर बना रहता है कि कही आग न लग जाए. सतपाल ने बताया कि पात्र होने के बावजूद अभी तक बीपीएल कार्ड नहीं बनाया गया है. पीने का पानी ट्यूबवेल से लाना पड़ता है.
उसने बताया कि उसके बेटे का आयुष्मान योजना में नाम है, लेकिन जब उसके बेटे को अपेंडिक्स की बीमारी हुई तो इस कार्ड को नहीं माना गया और उसने अपने जानकारों से 60 हजार रुपए उधार लेकर बेटे का इलाज करवाया. उसने मांग की है कि सरकार उसका कच्चा मकान पक्का करवाने में मदद करे और बीपीएल कार्ड बनाकर जो सुविधाएं बीपीएल परिवारों को दी गई है ,उनको भी मिलना शुरू हो.
सतपाल ने कहा कि उन्हें लगता है कि वो आज भी स्वतंत्र भारत में गुलामी भरी जिंदगी जी रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा गरीबों की भलाई करने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हुई है लेकिन उनके मामले में यह बात सच्चाई से कोसों दूर है.
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