फतेहाबाद | हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. माना जाता है कि गाय के शरीर में सभी देवी- देवता वास करते हैं. घर में जब भी रोटियां बनाई जाती है तो सबसे पहली रोटी गऊ माता की होती है. यह हमारी संस्कृति का हिस्सा भी है लेकिन आधुनिकता के इस युग में आज की युवा पीढ़ी इन संस्कारों से दूर हटती जा रही है.
आज हम अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूलते जा रहे हैं. अगर हमें अपनी संस्कृति को जिंदा रखना है तो आने वाली पीढ़ियों तक इन संस्कारों के संदेश पहुंचाने बहुत जरूरी है. इसके लिए सभी को मिलकर सार्थक प्रयास करने होंगे. इस दिशा में टोहाना की नंदी गौशाला ने काम करना भी शुरू कर दिया है.
S.S पब्लिक स्कूल ने शुरू की मुहिम
शिव नंदी गौशाला ने टोहाना के एसएस पब्लिक स्कूल से इस मुहिम का आगाज कर दिया है. इस मुहिम के तहत बच्चों को बताया गया है कि हिंदू धर्म में हमेशा पहली रोटी गाय के लिए होती है. बच्चों ने भी इस बात का अनुसरण करना शुरू कर दिया है और अपने खाने के साथ एक रोटी गऊ माता के लिए स्कूल लेकर आने लगें हैं. स्कूल में इन रोटियों को इकट्ठा कर गौशाला में भेज दिया जाता है, जहां ये गौवंश के भोजन में शामिल होती है.
दान का संस्कार जरूरी
शिव नंदीशाला के संयोजक धर्मपाल सैनी ने बताया कि पहली रोटी गाय व जरूरतमंद को देने से आपके बच्चों के जीवन में चमत्कारी प्रभाव पड़ते है क्योंकि दान की आदत के संस्कार से ही सर्वहितकारी सोच का निर्माण होता है. यही गुण आगे चलकर बच्चे को संस्कारी बनाते हैं जो बच्चे को बुढ़ापे में अपने माता- पिता की सेवा के लिए प्रेरित करते हैं.
उन्होंने बताया कि रोज गौ माता को रोटी देने से बच्चों के स्वभाव में विनम्रता आती है और वो अहंकार से कोसों दूर हो जाते हैं. वह जीवन की हर कठिनाइयों में सरलता से निकल अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है.
सभी स्कूलों में पहुंचे मुहिम
धर्मपाल सैनी ने कहा कि टोहाना ही नहीं बल्कि समूचे देश के स्कूलों में इस मुहिम का विस्तार करने की आज आवश्यकता है. उन्होंने बच्चों के परिजनों से अपील करते हुए कहा कि सभी अपने बच्चों को गाय के नाम की एक रोटी देकर स्कूल भेजे ताकि गौवंश के लिए भोजन का इंतजाम हो सकें.
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