टेक डेस्क । दूरसंचार क्षेत्र की सरकारी कम्पनी बीएसएनएल की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. पहले से घाटे में चल रही कम्पनी ने भारत सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के मशवरे के मुताबिक अपने 4G टेंडर को जुलाई में टाल दिया था ताकि उस बोली में चीनी कम्पनियां भाग न ले सके क्योंकि सरकार और सरकारी दूरसंचार कम्पनी को लगता था कि इस बोली में ZTE और हुअवै जैसी कम्पनियां बाजी मार सकती है.
अब पुनः टेंडर को ओपन किया गया है लेकिन भारतीय कम्पनियों ने चीनी कम्पनियों के मुकाबले बहुत महंगी बोली लगाई है ; चूंकि कई कम्पनियों ने तो लगभग 90 फीसदी महंगी बोली लगाई है जिसे सरकारी कम्पनी बीएसएनएल के लिए वहन करना सम्भव नहीं है क्योंकि वह पहले ही बहुत घाटे में चल रही है.
विदित है कि जून में नीति आयोग, घरेलू उपकरण निर्माता कंपनी और बीएसएनएल के मध्य एक वार्ता का आयोजन किया गया था जिसमें सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत 4G नेटवर्क हेतु स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल पर सहमति बनी थी. उस वक्त सरकारी दूरसंचार कम्पनी ने यह भी कहा था उसके पास प्रयोग हेतु पैसे नही है इसलिए स्वदेशी उपकरण निर्माता कम्पनियों के पास उपलब्ध उपकरणों की सहायता से ही 4G नेटवर्क की इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला लिया था.
लेकिन अब भारतीय कम्पनियों की आसमान छूती बोलियों की वजह से सरकार का आत्मनिर्भर भारत और दूरसंचार कंपनी बीएसएनल के जल्द 4G नेटवर्क का सपना जल्द पूरा होता नजर नहीं आ रहा है.
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