गुरुग्राम | कहते हैं हालातों का रोना रोकर अपनी मंजिल से पीछे नहीं हटना चाहिए और संघर्ष के सफर में अच्छे लोगों का साथ मिल जाए तो मंजिल को पाना थोड़ा और आसान हो जाता है. कुछ ऐसी ही संघर्ष भरी कहानी है, आशीष की जिसे भाई जैसे दोस्तों ने जिम जाने की सलाह दी तो उसकी जिंदगी बदल गई.
आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर
सोहना निवासी आशीष का बचपन आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह बेहद मजबूरियों में गुजरा है. उसने अपने परिवार का पालन- पोषण करने के लिए जूस की रेहड़ी लगाई लेकिन इस संघर्ष के बीच आशीष ने जो कर दिखाया है, वो आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. गरीबी के बीच संघर्ष करते हुए आशीष 21 साल की उम्र में बॉडी बिल्डिंग में राज्यस्तर पर 6 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत चुका है.
आशीष के सिर पर कामयाबी हासिल करने का जुनून इस कदर हावी हो चुका है कि वो सुबह 6 बजे सोहना की अनाज मंडी में जूस की रेहड़ी लगाता है. फिर 10 से लेकर 12 बजे तक जिम में पसीना बहाता है. उसके बाद, शाम 2 बजे वो दोबारा रेहड़ी लगाकर रात के 10 बजे तक जूस बेचता है.
आसान नहीं रही जिंदगी की डगर
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तो 14 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने की नौबत आ गई लेकिन सिर पर कुछ कर गुजरने का जुनून सवार था. बॉडी बिल्डिंग में आशीष की दिलचस्पी देख दोस्तों ने जिम जाने की सलाह दी लेकिन जिम की महंगी फीस चुकाने में सक्षम नहीं था लेकिन आशीष ने हार नहीं मानते हुए घर पर प्रयास कर अपने शरीर को बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयार किया. उसके शरीर की फिटनेस को देखते हुए एक जिम संचालक ने उसकी मदद की और अपनी जिम में आकर एक्सरसाइज करने का न्योता दिया.
नेशनल खेलने का सपना
आशीष की कामयाबी पर नजर डालें तो बॉडी बिल्डिंग में वह स्टेट लेवल पर 6 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत चुका है. आशीष ने बताया कि वह नेशनल खेलने का सपना पूरा करना चाहता है और इसके लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहा है. हालांकि, इस संघर्ष के बीच उसे अपनी गरीबी का भी मलाल हैं और सरकार से अनुरोध करते हुए कहा है कि यदि उसे एक अच्छा मार्गदर्शन मिलें तो वह अच्छे मुकाम पर पहुंच सकता है.
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