गुरूग्राम | अब इंदौर की तर्ज पर हरियाणा के गुरूग्राम में भी गीले कचरे से बायो गैस बनाने वाला सीएनजी प्लांट लगाया जाएगा. इसको लेकर गुरुग्राम नगर निगम ने योजना तैयार कर ली है और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री ने इसे मंजूरी भी दे दी है. इस बारे में नगर निगम ने बायो सीएनजी प्लांट लगाने वाली कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं.
प्लांट लगाने के लिए निगम के राजस्व अधिकारी को 15 एकड़ जमीन चिह्नित करने के निर्देश जारी किए गये हैं. बता दे योजना तैयार करने से पहले निगम अधिकारियों ने 10 महीने पहले इंदौर शहर में लगे बायो सीएनजी प्लांट का दौरा भी किया था. अब प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
नगर निगम नहीं लगाएगा पैसा
खास बात यह है कि इस प्लांट को तैयार करने में नगर निगम अपना पैसा नहीं लगायेगा. इसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर एक निजी एजेंसी तैयार करेगी. इंदौर की तर्ज पर प्लांट लगाने की योजना तैयार की गई है. इस प्लांट पर कंपनी 150 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने की संभावना है.
सबसे बड़ा प्लांट लगाने की है योजना
नगर निगम के मुताबिक, इंदौर में एक प्लांट से 550 टन गीले कचरे से करीब 19 हजार 500 किलो गैस का उत्पादन किया जा रहा है. गुरुग्राम नगर निगम ने इंदौर से भी बड़ा प्लांट लगाने की योजना तैयार की है, जो एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी प्लांट होगा. अब तक एशिया का सबसे बड़ा प्लांट इंदौर में ही मौजूद है.
रोजाना निकलता है 600 से 700 टन गीला कचरा
गुरुग्राम में रोजाना करीब 600 से 700 टन गीला कचरा निकलता है. ऐसे में पूरे शहर के गीले कचरे से करीब 22 हजार किलोग्राम सीएनजी बायोगैस पैदा करने की योजना तैयार की गई है. यह प्लांट इंदौर में 15 एकड़ जमीन पर लगा है. वहां इस प्लांट से उत्पादित गैस से 400 से ज्यादा सीएनजी बसें चलाई जाती हैं.
सीएनजी वाहनों की बढ़ेगी संख्या
गुरुग्राम में डीजल ऑटो और गाड़ियां चलने के कारण लोग साल में अगले 150 दिन जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. यदि यह बायो-सीएनजी प्लांट शहर में लगाया जाता है तो शहर की हवा प्रदूषित नहीं होगी. वहीं, शहर में सीएनजी वाहनों की संख्या भी बढ़ जाएगी. निगम हर दिन करीब 1300 टन कूड़ा पैदा करता है जिसमें से 700 टन गीला कूड़ा होता है. फिलहाल गीले कूड़े का निस्तारण ठीक से नहीं हो पा रहा है.
इस तरह गीले कचरे से बनाई जाती है गैस
सबसे पहले जैविक कचरे को एक गहरे बंकर में डाला जाता है. फिर क्रेन की मदद से इसे डिस्पोजल मशीन तक पहुंचाया जाता है. ठोस और तरल पदार्थ के अनुपात को नियंत्रित करने के बाद, उन्हें बॉयलर में भेजा जाता है और गर्म किया जाता है. अंदर से निकलने वाली भाप को तकनीक के जरिए सीएनजी में बदला जाता है. इसे एक बड़े टैंक में एकत्र किया जाता है और पाइप के माध्यम से आपूर्ति की जाती है.
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