नई दिल्ली । हरियाणा की दर्जनो कंपनियों ने नोएडा में जमीन की तलाश शुरू कर दी है. बता दे कि नोएडा अथॉरिटी के अफसर कंपनियों को जमीन दिखा रहे हैं. यूपी सरकार भी इस मौके का पूरा फायदा उठाने की ताक मे है. इसके लिए लेबर लॉ से लेकर जमीन आवंटन तक के कामों मे तमाम तरह की रियायतें दी जा रही है.
कंपनियों को यह परियोजनाएं कर रही है नोएडा की ओर आकर्षित
हाल ही में हरियाणा सरकार नया एंप्लॉयमेंट बिल लेकर आई है. इस बिल के आने से ही हरियाणा की बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज में खलबली मच गई है. हरियाणा की कंपनियों का यह कदम वहां रहने वाले लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है. ग्रेटर नोएडा में शुरू होने वाली 4 परियोजनाएं सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. जो किसी भी कंपनी की तरक्की के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. हरियाणा सरकार नया एंप्लॉयमेंट बिल लेकर आई है इस बिल के तहत छोटी बड़ी इंडस्ट्री में ₹50000 से कम वेतन वाले स्टाफ की कुल संख्या का 75 परसेंट हरियाणा के होने की बात कही गई है.
इसी बिल के चलते हरियाणा की बड़ी-बड़ी कंपनियों के अधिकारी नोएडा,ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी के क्षेत्र में आने वाली जमीनों को देख रहे हैं. ऐसी कंपनियों की संख्या दर्जनों के हिसाब से बताई जा रही है. इंडस्ट्रियल एक्सपर्ट केसी जैन बताते हैं कि कारोबार चाहे छोटा हो या बड़ा उसके लिए रेलवे, हवाई और सड़क ट्रांसपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण होता है. नोएडा,ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट अथॉरिटी की योजनाओं को देखें तो जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम काफी जोरों शोरों से किया जा रहा है.
इसलिए हरियाणा छोड़ने को मजबूर होंगी इंडस्ट्रीज
हरियाणा सरकार एक नया एंप्लॉयमेंट बिल लेकर आई है. इस बिल के मुताबिक छोटी बड़ी इंडस्ट्री में ₹50000 से कम वेतन वाले स्टाफ की कुल संख्या का 75 फ़ीसदी हरियाणा को देना होगा. यानी कि हरियाणा के युवाओं को भर्ती करना होगा. वही इंडस्ट्रियल एक्सपर्ट केसी जैन का कहना है कि ऐसा बिल किसी भी राज्य के लिए व्यवहारिक नहीं है.
यह पॉसिबल ही नहीं है कि आपको एक ही राज्य में ट्रेड लेबर व स्टाफ मिल जाए. वही हरियाणा के मामले में तो पटियाला स्थित पंजाबी यूनिवर्सिटी की 2018 की एक रिपोर्ट बताती है कि हरियाणा के इंडस्ट्री में 59 फीसदी लेबर प्रवासी मजदूर है मतलब वह हरियाणा के बाहर से हैं.
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