हरियाणा के वन विभाग को फटकार, मेदांता अस्पताल को इस्तेमाल के लिए दी थी वन भूमि

गुरुग्राम । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) ने हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित मेदांता अस्पताल को वन भूमि का इस्तेमाल गैर वन कार्य के लिए करने की अनुमति देने पर वन विभाग को फटकार लगाई लगा दी है. एनजीटी ने अदालत को अस्पताल पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना लगाने के साथ हर्जाना जमा कराने का निर्देश दिया है.

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एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने कहा- कि हरियाणा शहरी विकास परिषद द्वारा वन भूमि को गैर वन कार्य हेतु अस्पताल को नीलाम कर गैर कानूनी कार्य किया गया है. वे कुल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) का पांच गुना हर्जाना भरने के लिए जिम्मेदार हैं और इसके साथ ही निर्धारित प्रक्रिया के तहत वन को हुए नुकसान के एवज में हर्जाना जमा करें.

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जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने कहा है कि सिद्धांततः ऐसे मामलों में पूर्व स्थिती बहाल की जाती है और संरक्षित वन को कायम किया जाता है. हालांकि परिवर्तनीय स्थिती पैदा की गई है और इसके लिए राज्य प्राधिकार पक्षकार हैं. एनजीटी ने रेखांकित किया है कि पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी ने निरीक्षण रिपोर्ट में आरक्षित वन क्षेत्र के 5530 वर्ग गज क्षेत्र को लेकर सवाल उठाया है.

मेदांता ने 3200 वर्ग गज जमीन लौटा दी है, जिसकी पुष्टि सुनवाई के दौरान हरियाणा शहरी विकास परिषद के वकील ने कर दी है. इस जमीन का इस्तेमाल आरक्षित वन लिए होगा, जबकि शेष 2330 वर्ग जमीन के लिए मेदांता ने अपने खर्च पर वैकल्पिक जमीन देने की पेशकश की है. जिसका इस्तेमाल आरक्षित वन के लिए किया जा सकेगा. एनजीटी ने साफतौर पर कह दिया है कि वैकल्पिक जमीन उद्देश्य के अनुकूल होनी ही चाहिए और इसपर अंतिम फैसला कानून के मुताबिक वन विभाग ही तय करेगा.

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बेंच ने कहा कि मैदांता का यह तर्क न्यायोचित लग सकता है कि उसने सार्वजनिक नीलामी में जमीन ली है, लेकिन अवैध प्रक्रिया सामने आने के बावजूद मैदांता का बचाव करना प्रशंसनीय नहीं है. किसी भी सूरत में मेदांता द्वारा वैकल्पिक जमीन की पेशकश करना धर्मार्थ कार्य नहीं है क्योंकि संरक्षित वन को कायम करना जिसकी उसकी जिम्मेदारी है. हरियाणा का वन विभाग इसमें बराबर का जिम्मेदार हैं, जो इस मुद्दे को उठाने में असफल रहा है.

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गौरतलब है कि एनजीटी गैर सरकारी संगठन एनजीओ सर्व जन कल्याण सेवा समिति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जिसमें गुरुग्राम के सेक्टर 38 में कथित रूप से अस्पताल द्वारा किए गए निर्माण को हटाने का अनुरोध किया गया है.

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