चंडीगढ़ | हॉलैंड की तर्ज पर हरियाणा में भी फूलों की मंडी बनाई जाएगी. इसके लिए अधिकारियों ने तैयारी शुरू कर दी है. गुरुग्राम में बनने वाली इस ग्लोबल फ्लावर मार्केट से विदेशों में फूलों का निर्यात किया जाएगा. इससे हरियाणा और एनसीआर और अन्य जगहों के फूल उगाने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी.
कृषि मंत्री जेपी दलाल इस समय यूरोप के दौरे पर हैं साथ ही, कृषि विभाग की एसीएस सुमिता मिश्रा भी हॉलैंड के दौरे पर हैं. मंत्री पहले ही हॉलैंड के अलसमेयर फ्लोरा मार्केट का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने वहां प्रतिदिन हो रही फूलों की ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया की भी जानकारी ली है. जिसके बारे में अधिकारियों से योजना बनाने को कहा गया है.
1962 में बना था बाजार
हॉलैंड के इस बाजार की स्थापना 1962 में हुई थी. इसे समय-समय पर अपडेट किया जाता है. हॉल का कुल क्षेत्रफल आकार में फुटबॉल के मैदान से 250 गुना बड़ा है.
रोज आ रहे 4.5 करोड़ फूल
इस बाजार में रोजाना करीब 4.5 करोड़ फूल बाहर से आ रहे हैं. 30 प्रतिशत नीलामियों में स्थानीय नीलामकर्ता और 70 प्रतिशत नीलामियों में अन्य देशों के लोग भाग ले रहे हैं.
डच तकनीक नीलामी
फूलों की नीलामी नीचे से ऊपर तक DUCH प्रणाली के तहत स्वचालित और इलेक्ट्रॉनिक रूप से की जा रही है. जिसमें बोली लगाने वाला न्यूनतम निर्धारित मूल्य पर हाथों-हाथ नीलामी करता है.
24 घंटे उपलब्ध फूलों की जानकारी
प्रत्येक फूल उत्पाद की लंबाई, आकार और फूलों की संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी 24 घंटे बोर्ड पर मुद्रित होती है.
ऑनलाइन भुगतान
बोली लगाने के बाद, बोलीदाता उत्पाद की डिलीवरी लेने से पहले ऑनलाइन भुगतान करता है. फूलों की देखभाल के लिए एक बड़े स्तर का वातानुकूलित हॉल है. जिसमें दीर्घा क्षेत्र में फूलों को बनाए रखने के लिए 9 से 12 डिग्री तापमान होता है.
सालाना टर्नओवर 30 हजार करोड़
इस फूल व्यापार बाजार का सालाना कारोबार करीब 30 हजार करोड़ रुपये है. इससे 5 हजार से ज्यादा फूल उत्पादक और आपूर्तिकर्ता जुड़े हुए हैं. जो फूलों की आपूर्ति का 80% प्रतिदिन निर्यात कर रहा है.
हॉलैंड मार्केट के व्यापारियों से बात की : कृषि मंत्री
हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि बाजार में व्यापारियों से बातचीत कर उनके अनुभव साझा किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हॉलैंड के फूल बाजार की तर्ज पर गुरुग्राम में भी इस तकनीक के आधार पर एक विशाल फूल बाजार बनाया जाएगा. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
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