गुरूग्राम | नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर की तरह गुरुग्राम के 7 टावरों को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि गुरुग्राम के सेक्टर 37-डी में स्थित एनबीसीसी के टावरों को सीवीसी, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, सीबीआरआई रुड़की, डीडीएमए और डीटीसीपी द्वारा खतरनाक घोषित किया गया है.
गुरुग्राम में एनबीसीसी के ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट के तहत बने टावरों में अनुच्छेद 32 के तहत सीबीआई जांच की मांग की गई है. इसके साथ ही याचिका में घर खरीदारों को पर्याप्त मुआवजा और रिफंड की मांग की गई है. ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट के 7 टावरों में 784 फ्लैट हैं, जिन्हें गिराने से सरकारी खजाने को करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. यह परियोजना सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों के लिए शुरू की गई थी. इसमें कई सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने फ्लैट खरीदे हैं.
2018 में मिले थे खरीददारों को फ्लैट
राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने वर्ष 2012 में ग्रीन व्यू नाम से एक आवासीय सोसायटी परियोजना शुरू की थी. यह परियोजना सेक्टर-37डी में 18 एकड़ भूमि पर है. यहां 14-14 मंजिलों के 7 टावर बनाए गए हैं. इसमें 784 फ्लैट हैं. इस प्रोजेक्ट में 260 खरीदारों ने 66-66 लाख रुपये में फ्लैट बुक किए थे. साल 2018 में फ्लैट पर खरीदारों को पजेशन दिया गया था। हालांकि, उसी वर्ष लोगों ने भवन की जर्जर हालत देखकर शिकायत करना शुरू कर दिया.
मार्च 2022 में हुई खाली
इसके बाद दिसंबर 2019 में ही केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के मुख्य तकनीकी परीक्षक की रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई गई थी. फिर भी सरकार ने जांच के आदेश नहीं दिए. 3 अक्टूबर 2021 को NBCC ने पूरी बिल्डिंग को जनता के लिए असुरक्षित घोषित किया. जिला प्रशासन ने 1 मार्च 2022 को रिफंड दिलाने का वादा कर सोसायटी को खाली करा दिया.
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