दक्षिण हरियाणा में खिसकने लगी ‘रामपुरा हाउस’ की सियासी जमीन, लड़खड़ाते हुए राव इंद्रजीत ने लगाया जीत का छक्का

गुरुग्राम | दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में दशकों से सियासी दबदबा रखने वाले रामपुरा हाउस की राजनीतिक जमीन अब खिसकने लगी है. यहां से रामपुरा हाउस की सियासी विरासत को आगे बढ़ा रहे राव इंद्रजीत सिंह (Rao Inderjeet Singh) भले ही लगातार छठी बार सांसद बनने में कामयाब रहे हो लेकिन हार-जीत का मार्जिन बेहद कम रहा है. इतना ही नहीं, वो अपने दबदबे वाली रोहतक लोकसभा सीट के अंतर्गत कोसली विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अरविंद शर्मा के लिए चुनाव प्रचार करने गए थे लेकिन यहां से भी कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा को जीत हासिल हुई है.

Rao Inderjit Singh

खिसकने लगा सियासी वजूद

काउंटिंग की शुरुआत में तो ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस प्रत्याशी फिल्म अभिनेता राज बब्बर (Raj Babbar) उन्हें पटखनी दे सकते हैं लेकिन आखिर में राव इंद्रजीत 75079 वोटों से इस सियासी रण को फतह करने में कामयाब रहे. बीजेपी में शामिल होने के बाद पिछले 2 चुनाव लाखों वोटों के मार्जिन से जीतने वाले राव इंद्रजीत के लिए इस बार जीत का आंकड़ा उसके सियासी वजूद पर सवाल खड़े कर रहा है.

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राव इंद्रजीत सिंह को अपने पैतृक हल्के रेवाड़ी, बावल और पटौदी में उम्मीद के मुताबिक बढ़त नहीं मिल पाई. जीत के बाद खुद उन्होंने माना कि अगर उन्हें गुरुग्राम और बादशाहपुर से बढ़त नहीं मिलती तो उनका जीतना मुश्किल हो सकता था. राव इंद्रजीत को गुरुग्राम लोकसभा सीट से कुल 808386 वोट मिले जबकि राज बब्बर को 733237 वोट मिले.

चुनाव प्रचार के दौरान राज बब्बर पर बाहरी होने का ठप्पा लगाया जा रहा था लेकिन उन्होंने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हुए राव इंद्रजीत सिंह के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी थी. नूंह जिले में तो सभी तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त बढ़त मिली थी, जिसके बाद राज बब्बर के जीतने की संभावना मजबूत होने लगी थी.

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विरोधी रहें एक्टिव

गुरुग्राम लोकसभा सीट पर बीजेपी के भीतर गुटबाजी चरम पर रही. अहीरवाल की राजनीति को अपने हिसाब से चलाने वाले राव इंद्रजीत के विरोधियों की लिस्ट अपनी ही पार्टी में काफी लंबी है. इसी गुटबाजी का असर उनके चुनाव प्रचार पर भी देखने को मिला और कोई बड़ा नेता उनके लिए प्रचार करने नहीं पहुंचा.

रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह को कांटे की टक्कर झेलनी पड़ी लेकिन गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा सीट से करीब 1-1 लाख वोटों की बढ़त मिलने पर वो लड़खड़ाते हुए बाजी जीतने में कामयाब रहे. हालांकि इन सीटों पर भी भीतरघात की आंशका बनी हुई थी लेकिन चुनावी नतीजे के बाद ऐसा कुछ नजर नहीं आया.

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समय के साथ कमजोर हुई पकड़

दशकों तक दक्षिण हरियाणा की 14 विधानसभा सीटों पर रामपुरा हाउस का दबदबा रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों से ये पकड़ कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में उनके खुद के गृह जिले रेवाड़ी की विधानसभा सीट पर उनके समर्थक सुनील मुसेपुर को हार मिली थी. ऐसे में इस बार खुद राव इंद्रजीत सिंह के सामने खड़ी हुई चुनौती ने इसे और गहरा कर दिया है.

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