गुरुग्राम | हरियाणा सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में गरीबों के उपचार के लिए बनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है. ऐसे में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) से रियायती दरों पर जमीन लेकर जो अस्पताल बनाए गए हैं, उन्हें गरीबों को फ्री या बहुत ही सस्ती दरों पर इलाज की सुविधा मुहैया करवानी होगी. खट्टर सरकार ने ऐसे सभी अस्पतालों को पॉलिसी का पालन करना अनिवार्य कर दिया है. पहले इसका लाभ उठाने के लिए 5 हजार रुपए प्रति महीना आमदनी निर्धारित थी लेकिन अब 15 हजार रुपए तक कमाने वाले परिवार इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे.
नई पॉलिसी के तहत, गुरुग्राम के 3 बड़े नामी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शामिल होंगें. जिनमें आर्टेमिस, फॉर्टिस और मेदांता द मेडिसिटी शामिल हैं. नई पॉलिसी को लागू करने को लेकर गुरुग्राम के डीसी निशांत कुमार यादव ने इन तीनों अस्पतालों के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित अधिकारियों की एक बैठक गुरुग्राम के मिनी सचिवालय में बुलाकर उन्हें इस पॉलिसी के बारे में बताते हुए इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की राज्य सरकार की मंशा भी साफ कर दी है.
नई पॉलिसी की जानकारी देते हुए डीसी निशांत यादव ने बताया कि मेदांता-द मेडिसिटी जैसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को अपनी कुल बेड की क्षमता के 20% बेड गरीबों के लिए आरक्षित करने होंगे. उन्होंने बताया कि इस श्रेणी में दाखिल हुए मरीज का यदि 5 लाख रुपए तक बिल आता है तो उसका इलाज बिल्कुल मुफ्त रहेगा.
यदि बिल 5-10 लाख रुपए के बीच आता है तो मरीज से नॉर्मल चार्जिंज का 10% ही लिया जाएगा. यदि बिल की राशि 10 लाख से पार रहती है तो नॉर्मल चार्जिंज का 30% ही वसूल किया जाएगा. इसके अलावा, इन अस्पतालों में OPD में आने वाले मरीजों में भी 20% सेवाएं समाज के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए होनी चाहिए.
डीसी निशांत यादव ने इन प्राइवेट अस्पताल के प्रतिनिधियों को निर्देश दिए कि वे अपने अस्पताल में BPL, EWS परिवारों के लिए अलग से काउंटर की व्यवस्था करें. इसके अलावा, जहां मरीज को दिखाना है वहां पर भी अलग लाइन की व्यवस्था की जाएं ताकि इन परिवारों से संबंधित मरीजों को इलाज के दौरान किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े. इन परिवारों के लिए अस्पताल में जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए.
डीसी निशांत यादव ने बताया कि इस श्रेणी के तहत सीएम हरियाणा, स्वास्थ्य मंत्री, सिविल सर्जन, जिला का नोडल अधिकारी, डीसी और जिला रेडक्रॉस सोसायटी अध्यक्ष की स्वीकृति से जिला रेडक्रॉस सोसायटी इन अस्पतालों को इलाज के लिए मरीज रेफर करेंगे. इसके अलावा, आयुष्मान भारत, चिरायु कार्ड और बीपीएल कार्ड धारक व्यक्ति सीधे भी अस्पताल में इलाज के लिए जा सकते हैं. उन्होंने निर्देश दिए कि आपातकालीन स्थिति में मरीज के इलाज को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और कागज कार्रवाई बाद में निपटाए.
डीसी निशांत यादव ने बताया कि इस नई पॉलिसी की पालना सुनिश्चित करने हेतु HSVP की ओर से एक पोर्टल जल्द ही लॉन्च किया जाएगा, जिस पर अस्पताल में बीपीएल या गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले मरीज के भर्ती होते ही उसकी डिटेल पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. इसके अलावा, अस्पताल प्रबंधन को मरीज को दी गई फाइनल बिल की प्रति भी पोर्टल पर अपलोड करनी अनिवार्य होगी.
वहीं, इस श्रेणी के तहत इलाज की सुविधा प्राप्त करने वाले मरीजों को 24 घंटे के अंदर अपना बीपीएल कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, परिवार पहचान पत्र व आधार कार्ड अस्पताल प्रबंधन के सामने पेश करना होगा. ऐसा न करने की सूरत में मरीज को इस पॉलिसी के अन्तर्गत सुविधा का पात्र नहीं माना जाएगा.
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