ठेके शाम 5 बजे बंद कराने पर छलका ठेकेदारों का दर्द, डिप्टी सीएम दुष्यंत के नाम ज्ञापन सौंप की यह मांग

गुरुग्राम । कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामले एक बार फिर से लोगों को डरा रहें हैं. केन्द्र सरकार के दिशानिर्देश अनुसार तमाम राज्यों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तमाम तरह की पाबंदियां लगाई जा रही है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजधानी से सटे गुरुग्राम में जिला प्रशासन द्वारा बीते रविवार से शाम 5 बजे के बाद केमिस्ट शॉप को छोड़कर अन्य सभी को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं.

dushant chautala

जिला प्रशासन के इस आदेश का दर्द शराबियों से ज्यादा ठेकेदार महसूस कर रहे हैं. मंगलवार को इस बारे में ठेकेदारों की सामूहिक मीटिंग बुलाई गई, जिसके बाद उपायुक्त व जिला एक्साइज विभाग के अधिकारियों के हाथ उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम ज्ञापन सौंपा गया. ठेकेदारों की मांग है कि प्रशासन या तो सभी ठेकों को सामूहिक रूप से बंद करवाएं या फिर सभी को रात 11 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाएं.

अपने बयान में ठेकेदारों ने कहा कि कंपनी व कार्यालयों में शाम 5 बजे छुट्टी होती है और उसके बाद ही शराब ठेकों का कारोबार शुरू होता है. लेकिन प्रशासनिक आदेशों का पालन करते हुए शहर के ज्यादातर ठेके शाम 5 बजे बंद कर दिए जाते हैं. इस आदेश से सरकार को न केवल राजस्व नुकसान पहुंच रहा है बल्कि ठेकेदारों को भी भारी नुक़सान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि राजीव चौक, पटौदी चौक,राज नगर व शिवाजी नगर सहित कई जगहों पर रात 11 बजे तक ठेके खुलें देखें गए हैं.

बिक्री 10 फीसदी, फीस 100 फीसदी

प्रशासनिक आदेशों से आहत ठेकेदारों ने बताया कि हमसे ठेके के लिए 100 फीसदी फीस वसूली गई है लेकिन पाबंदियां लागू होने के कारण बिक्री 10 फीसदी भी नहीं हो पा रही हैं.

ऐसे में हमें भारी आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि शहर के ज्यादातर ठेकों पर शाम 5 बजे के बाद ही चहल-पहल होती है. लेकिन नए नियमों के तहत शाम 5 बजते ही ठेकों को बंद किया जा रहा है. ठेकेदारों ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि क्या हमसे वसूली गई 100 फीसदी फीस को सरकार कम करेगी.

अवैध शराब बिक्री का डर

ठेकेदारों ने कहा कि सरकार द्वारा जारी औचक आदेशों से नकली व अवैध शराब के कारोबार में तेजी से इजाफा होगा. ठेके बंद होने पर शराब का सेवन करने वाले नकली शराब पीने को मजबूर होंगे जिससे न केवल उनके स्वास्थ्य को हानि पहुंच सकती है बल्कि इससे प्रदेश सरकार को राजस्व में भी घाटा उठाना पड़ सकता है. ऐसे में हम सरकार से प्रशासनिक आदेशों पर विचार कर उनमें संशोधन करने की मांग करते हैं.

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