हिसार | हरियाणा में लगातार बढ़ती गर्मी का असर गेहूं की फसल पर साफ दिखाई देने लगा है, जिससे किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की भी चिंता बढ़ गई है. इस बार सर्दी का सीजन ज्यादा लंबा नहीं चला और मध्य फरवरी के बाद से ही तापमान में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सप्ताह में तापमान में गिरावट आ सकती है और 25 मार्च तक मौसम गेहूं की फसल के अनुकूल रहेगा.
किसानों का कहना है कि तेज गर्मी का असर गेहूं की फसल पर पड़ रहा है. यदि बरसात हो जाए तो कुछ हद तक असर कम हो सकता है. अगर बरसात नहीं होती है तो फसल उत्पादन कम होगा. हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि DBW187, DBW 303 व DBW 836 तीनों नई किस्में मौसम से लड़ने में सक्षम है और प्रदेश में 50 प्रतिशत रकबा इन्हीं किस्मों की बुआई का है.
गेहूं की फसल के लिए सबसे उत्तम तापमान
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि दिन का तापमान 30- 32 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है, तब तक किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. रात व दिन का तापमान मिलाकर औसत 22 डिग्री सेल्सियस गेहूं की पैदावार के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक गेहूं की फसल सहन कर सकती हैं लेकिन दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर गेहूं के बनने वाले दानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाएं बचाव के तरीके
- चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बढ़े हुए उच्च तापमान से बचने के लिए किसानों को आवश्यकतानुसार, हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है. जब तेज हवा चल रही है तो सिंचाई न करें अन्यथा फसल गिरने की संभावना बढ़ जाती है.
- जिन किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा है, वे दोपहर को तापमान वृद्धि के समय आधे घंटे तक फव्वारे से सिंचाई कर सकते हैं.
- गेहूं में बालियां निकलते समय या अगेती गेहूं की बालियां निकली हुई हैं तो भी 0.2% पोटेशियम क्लोराइड यानि कि 400 ग्राम पोटाश खाद 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. इससे तापमान में अचानक से हुई वृद्धि से होने वाले नुक़सान पर काबू पाया जा सकता है. पछेती गेहूं में पोटेशियम क्लोराइड का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर दो बार किया जा सकता है.