हिसार । हिसार स्थित महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट पर पहली हवाई यात्रा शुरू करने वाली देश की पहली स्टार्टअप कंपनी एयर टैक्सी ने हिसार एयरपोर्ट से अपने काम को बंद करने का फैसला लिया है. 3 अगस्त से कंपनी की ओर से एक भी फ्लाईट ने उड़ान नहीं भरी हैं . कंपनी ने यह निर्णय भी उस समय में लिया है जब हिसार से चंडीगढ़, देहरादून और धर्मशाला जाने के लिए सवारियों की भी कमी नहीं थी.
अभी तक एयर टैक्सी को हवाई यात्रा के भविष्य के तौर पर देखा जा रहा था क्योंकि केवल कार टैक्सी के किराए में ही लोग इसके माध्यम से एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा का लुत्फ उठा रहे थे लेकिन कंपनी के इस फैसले के इस फैसले से सभी को हैरानी हुई है. कंपनी के पदाधिकारियों ने बताया कि अभी तक यानि साढ़े छः महीने के भीतर उन्हें दो करोड़ रुपए से भी अधिक का नुक़सान हो चुका है. कंपनी प्रबंधन ने कहा है कि अगर एक महीने के दौरान उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो कंपनी सभी जगहों से अपने दफ्तर भी बंद कर लेगी. बता दें कि साढ़े छः महीने पहले ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ से एयर टैक्सी की पहली फ्लाइट का शुभारंभ किया था.
एयर टैक्सी बंद होने का यह रहा कारण
एयर टैक्सी स्टार्टअप के डायरेक्टर कैप्टन वरुण सुहाग ने बताया कि उन्हें हिसार से अपना काम बंद करने का बेहद दुःख है. उन्होंने काम बंद करने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की कार्य प्रणाली अनुकूल नहीं बैठी. उनकी कंपनी ने जब यहां काम शुरू किया था तब उड़ान के लिए 1500 मीटर का नियम था लेकिन कुछ दिनों बाद ही अथोरिटी ने इस नियम में बदलाव कर इसे 5 किलोमीटर कर दिया.
पत्रों का नही मिलता जवाब
डायरेक्टर वरुण सुहाग ने बताया कि उन्होंने कई बार अपनी परेशानियों से सरकार को अवगत कराया लेकिन जबाब ही नहीं आते हैं. ऐसे में सरकार के लचीले रवैए से तंग आकर हमने हिसार से काम बंद करने का फैसला लेना पड़ा. हमें लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा था. अथोरिटी को छोटी फ्लाइटों की उड़ान आसान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए था. इसके अलावा हमें उड़ान के लिए जो धनराशि सरकार की ओर से मिल रहीं थीं , उसमें भी लेट लतीफी हों रही थी.
इंस्ट्रुमेंट लैंडिंग सिस्टम भी नहीं
हिसार में धूल की वजह से विजिबिलिटी अक्सर कम ही रहती है , ऐसे में एयरपोर्ट प्रशासन को यहां कम से कम इंस्ट्रुमेंट लैंडिंग सिस्टम लगाना चाहिए था लेकिन वह सुविधा भी हमें यहां नहीं मिली. ऐसे में इन नियमों को लेकर एयर टैक्सी कितने दिन चल पाती.
30 करोड़ का किया था निवेश
कंपनी ने शुरुआती तौर पर इस बिजनेस में 30 करोड़ रुपए का निवेश किया था जिसमें 20 करोड़ के चार हवाई जहाज भी शामिल रहे. कंपनी की कोशिश थी कि देश के हर बड़े शहर को एयर टैक्सी से जोड़ा जाएं . मगर प्रबंधन का कहना है कि जब तक भारत में एयर टैक्सी जैसे छोटे जहाजों के लिए अलग से नियम नहीं बनते ,तब तक यह काम आगे नहीं बढ़ पाएगा.
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