हिसार | हिसार में देश का सबसे अत्याधुनिक ग्रीन ईको फ्रेंडली शान घाट बनेगा. सबसे खास बात यह है कि अभी तक इस तरह के श्मशान घाट हैदराबाद और कोयंबटूर में हैं, लेकिन इससे भी बेहतर प्रोजेक्ट हिसार में तैयार किया जाएगा. इस पर छह करोड़ की राशि खर्च की जाएगी. इसके लिए हिसार में बस स्टैंड के पास ऋषि नगर के श्मशान घाट को चुना गया है. इसका मकसद यह है कि अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह गाय के गोबर, पराली और लकड़ी का मिश्रण गाय के गोबर से बनाया जाएगा, ताकि शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके. इससे पेड़ और पर्यावरण दोनों को बचाया जा सकता है. इससे न सिर्फ पर्यावरण साफ होगा, बल्कि गोशालाएं आत्मनिर्भर भी बनेंगी. हिसार की सभी 60 गौशालाओं से मदद ली जाएगी.
गोशालाओं को मिश्रण से गाय का गारा बनाने की तकनीक सिखाई जाएगी और उनसे एक निश्चित राशि पर गौकस्थ खरीदा जाएगा. इसी तरह की परियोजनाएं हैदराबाद और कोयंबटूर में चल रही हैं. लेकिन, हिसार में बन रहा ग्रीन इको फ्रेंडली श्मशान देश में सबके लिए मिसाल बनेगा. यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर तैयार किया जाएगा. इसकी ड्राइंग हैदराबाद से तैयार की गई है. इस प्रोजेक्ट पर करीब 6 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस परियोजना की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी नगर मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने प्रसिद्ध समाजसेवी राकेश अग्रवाल को सौंपी है. राकेश अग्रवाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी रखा है. इसके बाद नगर मंत्री राकेश अग्रवाल के अनुरोध पर हिसार शहर के लोगों के लिए यह जिम्मेदारी ली है. यह प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जाएगा.
ये होंगे ग्रीन इको फ्रेंडली श्मशान घाट के फायदे
- हर साल पांच से छह करोड़ पेड़ जिन्हें दाह संस्कार के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें बचाया जा सकता है. इससे वायु और जल प्रदूषण को रोका जा सकेगा
- गाय के गोबर से गोकाषठ बनाकर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
- राजघाट, शक्ति स्थल, शांतिवन जैसे सुंदर केंद्र बनाकर हमारे दिवंगत परिवारों को सम्मानजनक अंतिम विदाई दी जा सकती है, जिसके वे पात्र हैं.
- श्मशान केंद्र को सबसे अच्छा धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरण केंद्र बनाया जा सकता है, जहां नागरिकों को सैर, योग, ध्यान से स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है.
- गौकस्थ में पराली भी मिल जाएगी जिससे पराली जलाने की समस्या भी दूर हो जाएगी.