हिसार । हरियाणा प्रदेश के इस गांव की गाजर पूरे देश में प्रसिद्ध है. इसकी प्रसिद्धि का पता इस बात से ही चलता है कि गांव के लोगों को अपनी गाजर बेचने के लिए कही बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि खुद व्यापारी उनकी फसल खरीदने गांव में पहुंचते हैं. यहां किसान मंडी लगाते हैं और अपनी गाजर की बोली खुद लगाते हैं.
हिसार- चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित यह गांव बहबलपुर गाजर की खेती के लिए जाना जाता है. एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए गांव के ही एक किसान ने बताया कि इस गांव में आज से करीब 20 साल पहले जींद जिलें के गांव इक्कस से आकर एक किसान इस गांव में रहने लगा था. उसने यहां गाजर की खेती शुरू की और उसे खुब मुनाफा हुआ. उसे देखकर गांव के अन्य लोगों ने भी गाजर की खेती करनी शुरू कर दी,जिसका नतीजा यह हुआ कि लोगों ने परम्परागत खेती छोड़ कर गाजर की खेती करना शुरू कर दिया और उन्हें अच्छी- खासी आमदनी होने लगी.
गांव के ही एक अन्य किसान ने बताया कि गाजर की खेती करने के लिए गांव के किसान खुद बीज तैयार करते हैं और खुद हीं लगाते हैं. यहां के किसान गाजर के साथ-2 उसका बीज बेचकर भी अच्छी आमदनी कर रहे हैं. यहां की गाजर खाने में बेहद मीठी और गाढ़े लाल रंग की होती है जिसके चलते इस गाजर को खरीदने पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान तक की मंडियों से व्यापारी खुद यहां पहुंचते हैं.
किसान ईश्वर सिंह ने बताया कि परम्परागत खेती करने की बजाय इस फसल में बहुत अधिक मुनाफा होता हैं और इसमें बीमारी लगने का खतरा भी बहुत कम है. यह केवल तीन महीने की ही फसल है और फसल के पैसे भी नकद मिलते हैं. उन्होंने बताया कि एक एकड़ में कम से कम 100 क्विंटल और अधिक से अधिक 200 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है. एक किसान एक एकड़ जमीन पर गाजर की फसल से 1 से 2 लाख रुपए तक मुनाफा कमाता है.
आज हर कोई खेती को घाटे का सौदा बता रहा है लेकिन परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बहबलपुर गांव के किसानों की तरह आधुनिक खेती पर जोर दिया जाएं तो किसान कम समय में अधिक आमदनी कर सकते हैं. इस गांव के लोगों का कहना है कि गाजर की खेती कर बहुत कम समय में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं और आसपास के क्षेत्र के लोगों को भी आधुनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
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