हिसार । कोरोना महामारी के बीच हरियाणा में एक ओर भयंकर बीमारी ने दस्तक दी है. हिसार में दो घोड़ियों समेत बहादुरगढ़ में एक खच्चर गलैडर्स बीमारी से ग्रस्त मिले हैं. यह एक जीवाणु जनित रोग है, जो हर नस्ल और उम्र के गधे -घोड़ों के अलावा मनुष्यों में भी फैल सकता है.इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद लगातार नाक बहती रहती है और त्वचा पर जगह-जगह फोड़े निकल आते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी स्थिति में संक्रमित पशु को वैज्ञानिक तरीके से ही मारना पड़ता है.
लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यहां पांच दिन पहले बहादुरगढ़ के बाहमणौली गांव से ईट भट्ठे पर काम करने वाले एक खच्चर के अलावा हिसार के लोकल इलाके से एक घोड़ी और एक शावक को जांच के लिए लाया गया था. जांच करने पर तीनों में गलैडर्स जीवाणु का संक्रमण मिला.
वरिष्ठ वैज्ञानी डॉ हरिशंकर सिंघा के नेतृत्व में टीम ने लुवास से इन तीनों पशुओं के सैंपल लेकर जांच शुरू की थी. पांच दिन बाद आई रिपोर्ट में खच्चर गलैडर्स बीमारी से ग्रस्त मिला, वहीं घोड़ी में स्ट्रेंगलस बीमारी पाई गई है.
स्ट्रेंगलस के लक्षण
स्ट्रेंगलस पशुओं में एक अत्यधिक संक्रामक ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण है, जो बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस इक्वी के कारण होता है. बैक्टीरिया अक्सर जबड़े के आस-पास लिम्फ नोड्स को संक्रमित करते हैं, जिससे उनमें सूजन आ जाती है. इसमें नाक बहना,गले में दर्द, फोड़े,पस बहना जैसे बहुत हल्के लक्षण नजर आते हैं. इसमें पशु को तनाव,भूख ना लगना,शरीर का तापमान बढना,गले के चारों ओर सूजन आदि दिक्कत हो जाती है. इंसान अगर संक्रमित पशु के सम्पर्क में आ जाएं तो उन्हें भी संक्रमण लग सकता है.
ग्लैडर्स बीमारी क्या है?
ग्लैडर्स घोड़ों की प्रजाति का एक संक्रामक रोग है. इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में दिक्कत,शरीर पर फोड़े आदि लक्षण है. यह संक्रामक बीमारी दूसरे पालतू पशुओं में भी पहुंच सकती है. यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है.
मनुष्यों पर ग्लैडर्स का प्रभाव
जो लोग घोड़ों की देखभाल या उपचार करते हैं,उनको खाल,नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो सकता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांसपेशियों एवं छाती में दर्द, सिरदर्द और नाक से पानी बहने लगता है.
ग्लैडर्स नोटिफाई होने के बाद क्या होगा
ग्लैडर्स बीमारी होने के बाद उस जिले को नोटिफाई कर दिया जाता है. पशुपालन विभाग सबसे पहले पशु चिकित्सकों की टीम बनाकर वहां तीन महीने तक जानवरों के खून के सैंपल लेगा. तीनों महीने टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई तभी ग्लैडर्स नोटिफाई जिले का टैग हटेगा. इसके साथ ही घोड़ों की आवाजाही व पशु मेला लगाने पर रोक रहेगी.
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