हरियाणा के किसानों-पशुपालकों के लिए खुशखबरी: अब बढेगी आय; चारा की भी नहीं होगी कमी

हिसार | हरियाणा के जिला हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) द्वारा विकसित किस्मों की मांग अन्य राज्यों में भी लगातार बढ़ रही है. इसी क्रम में चारा अनुभाग ने जई की एक नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जई की इस किस्म से देश के उत्तर-पश्चिमी राज्यों के किसानों और पशुपालकों को काफी फायदा होगा जिससे आय में भी बढोत्तरी होगी.

HAU Hisar

चारे में प्रोटीन की मात्रा है 10 प्रतिशत

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने जई की नई किस्म की विशेषताओं का जिक्र करते हुए कहा कि एचएफओ 906 किस्म के हरे चारे की औसत उपज 655.1 क्विंटल और सूखे चारे की औसत उपज 124.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसकी औसत बीज उपज 27.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि क्रूड प्रोटीन की पैदावार 11.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म के चारे में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत होती है, जिससे इसके चारे की गुणवत्ता पशुओं के लिए अधिक लाभदायक होती है.

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14 प्रतिशत अधिक हरे चारे की होती है उपज

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि एचएफओ 906 किस्म राष्ट्रीय स्तर की चौक किस्मों कैंट और ओएस 6 की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक हरे चारे की उपज देती है. एचएफओ 906 जई की काटने वाली किस्म है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के राजपत्र में केंद्रीय बीज समिति की अनुशंसा पर देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में समय पर बुआई के लिए जई की एचएफओ 906 किस्म को मंजूरी दी गई है.

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देश में हरे चारे और सूखे चारे की कमी

इस नई किस्म में प्रोटीन की मात्रा और पाचन क्षमता अधिक होने के कारण यह पशुओं के लिए बहुत अच्छी है. देश में 11.24 फीसदी हरे चारे और 23.4 फीसदी सूखे चारे की कमी है. इससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है. चारे की बेहतर गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली किस्में विकसित करने से पशुपालकों को फायदा होगा और पशुओं की दूध देने की क्षमता भी बढ़ेगी.

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