हरियाणा की सास-बहू ने अंग्रेजों के छुड़ा दिए थे छक्के, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी महिलाओं ने जंग

हिसार । जंग-ए-आजादी की लड़ाई में हरियाणा राज्य की सैंकड़ो महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अनूठी मिसाल कायम की थी. उनमें हिसार के सत्याग्रही बाबू श्यामलाल की धर्मपत्नी चांदबाई ने अपने पुत्र मदनगोपाल और वधू तारावती को लेकर सत्याग्रह किया था. कटला रामलीला मैदान में 24 फरवरी 1941 को जब चांदबाई और उनकी गर्भवती वधू तारावती ने द्वितीय विश्वयुद्ध विरोधी नारे लगाए थे, तो इस पर चांदबाई को गिरफ्तार कर छह महीने के लिये लाहौर जेल में डाल दिया गया था. हिसार अभिलेखागार में मौजूद दस्तावेज इस बात की पुष्टि करते हैं. 

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दरसअल, अभिलेखागार विभाग के मंडल क्षेत्रीय अभिलेखागार द्वारा आजादी के आन्दोलन में हमारे क्षेत्र के योद्धाओं के योगदान को दर्शाती प्रदर्शनी लगाई गई. जिसमें इस अभिलेख को प्रस्तुत किया गया है. स्थानीय महाबीर स्टेडियम के समीप पंचायत भवन में पद्यमश्री विष्णु प्रभाकर पुस्तकालय में लगाई गई यह प्रदर्शनी 15 अगस्त तक जारी रहेगी. इस दौरान आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में आयोजित इस प्रदर्शनी में 1857 से 1947 के दौरान स्वतंत्रता आन्दोलन में हमारे क्षेत्र के योद्धाओं के योगदान से जुड़े ऐतिहासिक एवं दुर्लभ अभिलेखों व चित्रों को प्रदर्शित किया गया है. 

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हिसार के लोगों का साहस 

28 नवंबर 1938 में हिसार में अकाल पड़ा था. उस दौरान लोग मर रहे थे, ऐसे समय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस हिसार आए. वह धांसू, जुगलान और बाद में सात रोड लोगों की सुधबुध लेने गए. अकाल के दौरान भी लोगों का साहस देखकर वह हैरान दिखे. उन्होंने लोगों में हिम्मत भरने का काम किया. इस दौरान की बहुत ही कम जानकारी रिकार्ड में है. ऐसे में अभिलेखागार ने 1938 में जुगलान गांव में नेताजी के दौरे की फोटो को प्रदर्शन के लिए रखा है. 

क्यों लगाई गई प्रदर्शनी?

क्षेत्रीय अभिलेखागार कार्यालय के सहायक निदेशक अनिल कुमार ने बताया है कि विभाग इन अभिलेखों को टाइम टू टाइम पर राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में प्रदर्शनियां आयोजित करके प्रदर्शित करता है. इससे आम जनता व विद्यार्थियों में अभिलेखों एवं उनमें समाहित ऐतिहासिक जानकारियों के प्रति रुचि उत्पन्न होती है. 

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इन घटनाओं का है ज़िक्र 

इस प्रदर्शनी में महत्वपूर्ण घटी घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है. इनमें 1857 में अंबाला में आगजनी की घटनाएं, 10 मई 1857 को अम्बाला से आरम्भ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानकारी देता एक टेलीग्राम, 1858 में शहीद लाला हुकम चंद जैन को फांसी देना, 1858 बल्लभगढ़ के राजा और झज्जर एवं बहादुरगढ़ के नवाबों के क्षेत्रों का अधिग्रहण, एक नवम्बर 1858 की महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा के द्वारा भारत में ब्रिटिश क्षेत्रों का प्रशासन ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों से महारानी द्वारा स्वयं लेने, 1858 में काला पानी की सजा पाए कैदियों को भेजे जाने का मार्ग, 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में अम्बाला के लाला मुरलीधर का राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए सीधे प्रतिवेदन की वकालत सम्बन्धी दस्तावेज आदि को प्रदर्शित किया है. 

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आजादी में प्रदेश का बड़ा योगदान : बीरेंद्र

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि देश को आजाद करवाने में हरियाणा के लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. प्रदेश के लोगों ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस की सेना में भर्ती होकर आजादी की लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति तक देकर भारत को आजाद करवाने का काम किया. ऐसे जाने अनजाने शहीदों की शहादत हमारे दिलों में हमेशा अविस्मरणीय रहेगी. 

गौरतलब है हरियाणा की मिट्टी में कई वीरों ने जन्म लिया है जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अपने खून का एक कतरा न्यौछावर कर दिया. महिलाओं ने भी अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. 

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