हिसार | लोगों को कैंसर और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से बचाने के लिए चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) और मोहाली के एक संस्थान ने मिलकर रोग प्रतिरोधक रंगीन गेहूं को विकसित किया है. इस गेहूं में भरपूर मात्रा में एंथोसाइनिन पिगमेंटेशन नामक तत्व पाया जाता है जो एंटीआक्सीडेंट का काम करता है.
काले रंग के गेहूं का उत्पादन
HAU, हिसार और नेशनल एग्री फूड बायोटेक संस्थान ने एक समझौते के तहत मोहाली में रंगीन गेहूं पैदा करना और हिसार के गेहूं विशेषज्ञों को गेहूं की दूसरी किस्मों के साथ संवर्धन कराकर इसका उत्पादन बढ़ाना था. इस दिशा में काम करते हुए दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए न सिर्फ काले रंग का गेहूं इजाद कर दिखाया है बल्कि इसका अच्छा उत्पादन भी लिया है.
पौष्टिक तत्वों से भरपूर है गेहूं
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में अब पारंपरिक गेहूं के साथ काले, नीले और बैंगनी रंग के गेहूं भी पैदा हो रहे हैं, जिनमें पौष्टिक तत्वों की भरमार है. वैज्ञानिक अब इस दिशा में काम कर रहे हैं कि इन रंगीन गेहूं की किस्मों से भी सरबती गेहूं की ही तरह प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जाए ताकि पौष्टिकता के साथ गेहूं की प्रचुरता भी बरकरार रहे.
दिल की बीमारी में भी फायदेमंद
यूनिवर्सिटी के गेहूं विशेषज्ञ डॉ. ओपी बिश्नोई ने बताया कि उत्तरी भारत में पैदा होने वाले आम गेहूं में एंथोसाइनिन पिगमेंटेशन की मात्रा महज 5 से 10 PPM (पार्ट पर मिलियन) होती है जबकि बैंगनी रंग की गेहूं में इसकी मात्रा 40 PPM और नीली गेहूं में 80 PPM होती है लेकिन काले रंग की गेहूं में सबसे ज्यादा एंथोसाइनिन होता है और इसमें PPM की मात्रा 140 तक होती है. अगर आप काले गेहूं की खेती करना चाहते है तो यह लेख पढ़ सकते है.
पाचन तंत्र दुरस्त करने में सहायक
उन्होंने बताया कि गेहूं में मौजूद यही एंटीऑक्सीडेंट तत्व बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. यह शुगर, कैंसर और ह्दयाघात जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है. इसके अलावा, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में भी सहायक होता है. रंगीन गेहूं से बनी रोटी और दलिया खाने से शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थ अपशिष्ट के रूप में शरीर से बाहर निकल जाते हैं.
डॉ. बिश्नोई ने आगे बताया कि डाक्टर बीमार लोगों को ब्लैक बेरी, चुकंदर और जामुन जैसे फल खाने की सलाह देते हैं क्योंकि इसमें एंथोसाइनिन अधिक होता है. एचएयू की मदद से विकसित रंगीन गेहूं के खाने के भी लोगों को यही फायदे मिलेंगे. उन्होंने बताया कि गेहूं की पौष्टिकता बढ़ाने में सफल कृषि विशेषज्ञों का लक्ष्य इसका उत्पादन दर बढ़ाना है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!