हिसार | देशभर में होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मगर हरियाणा में एक गांव ऐसा भी है, जहां ना तो होलिका दहन की जाती और ना ही होली का त्यौहार मनाया जाता है. इसके पीछे एक बड़ा बड़ा कारण बताया जाता है. आज हम आपको हिसार के गांव मंगाली की कहानी बताने जा रहे है. आखिर वहां पर क्यों होली का त्यौहार नहीं मनाया जाते हैं. आईए जानते हैं…
3 बार होलिका का किया गया दहन
गांव के लोगों का कहना है कि आजादी से पहले यहां 3 बार होलिका दहन किया गया था, लेकिन उसके तुरंत बाद घरों या बाड़ों में आग लग जाती थी. आग लगने का कारण आज तक ज्ञात नहीं हो सका, लेकिन तब से लेकर आज तक यहां के लोगों ने होलिका जलाना बंद कर दिया. साल 1944, 1945 और 1946 में होलिका जलाने पर गांव के घरों में आग लग गई थी. इसके बाद, यहां न तो होलिका दहन किया गया और न ही रंग खेला गया. ऐसे मानना है कि अगर होलिका दहन किया गया तो गांव में कुछ बुरा हो सकता है.
आजादी में गांव ने निभाई अहम भूमिका
यह गांव देश को आजादी दिलाने में भी अहम भूमिका अदा करता है. वर्ष 1857 में मंगाली क्रांतिकारियों ने हिसार जेल पर हमला कर 12 अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला था. इसके बाद, मंगली की पुरानी हवेली को ब्रिटिश सैनिकों ने घेर लिया, जिससे बचने के लिए 300 क्रांतिकारी कुएं में कूद पड़े. इस दौरान 30 क्रांतिकारी मारे गए थे.
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