किसानों को एक साथ मिलेगा विभिन्न फसलों का उत्पादन, हिसार में HAU मॉडल को मिली राष्ट्रीय मान्यता

हिसार | किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) में संचालित अखिल भारतीय एकीकृत कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना द्वारा विकसित 1.0 हेक्टेयर एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. इस मॉडल को विकसित करने में डॉ. एसके यादव, डॉ. आरके नैनवाल, डॉ. पवन कुमार, डॉ. आरएस दादरवाल, डॉ. आरडी जाट और डॉ. कविता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Hisar HAU

एक साथ विभिन्न फसलों का मिलेगा उत्पादन

HAU के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है. इस मॉडल के तहत, किसान एक साथ विभिन्न फसलें, सब्जियां, फल, पशुपालन, केंचुआ खाद उत्पादन, मशरूम उत्पादन, बायोगैस आदि उगा सकते हैं. 1 हेक्टेयर का यह मॉडल खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़ा फायदेमंद साबित होगा.

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उत्पादन में होगी वृद्धि

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि इस मॉडल से देश की बढ़ती आबादी के भोजन और सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए आने वाले सालों में अनाज, सब्जी, फल, दालें, दूध, खाद्य तेल और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलेगी.

उन्होंने बताया कि इस मॉडल की बदौलत किसान खेती के लिए उपलब्ध संसाधनों का पूरा उपयोग कर सकेंगे. इससे कृषि लागत में कमी आएगी और उत्पादन में वृद्धि होगी. यह कृषि मॉडल पर्यावरण के अनुकूल भी है और इस मॉडल से न केवल किसानों को पूरे साल आमदनी होगी बल्कि खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

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10 साल की मेहनत का नतीजा

एग्रोनॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. एसके ठकराल ने कहा कि कृषि जोत घट रही है और बढ़ती कृषि लागत के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनके आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन बद से बद्तर होते जा रहे हैं.

इसे देखते हुए विश्वविद्यालय के एग्रोनॉमी विभाग ने वर्ष 2010- 11 में भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) मोदीपुरम मेरठ के सहयोग से शोध कार्य शुरू किया था. उन्होंने बताया कि 10 साल के अनुसंधान के बाद विश्वविद्यालय ने लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 1.0 हेक्टेयर एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किया है.

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