हिसार | उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के पश्चात आई भयंकर आपदा से हर कोई हैरान है. लोगों की जान बचाने हेतु लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हिसार की बेटी डॉ ज्योति ने कुछ ऐसा कार्य कर दिखाया है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. Indo-Tibetan बॉर्डर पुलिस आइटीबीपी में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर ड्यूटी कर रही हिसार के सेक्टर 16-17 की रहने वाली डॉ ज्योति की तैनाती नवंबर के महीने में जोशीमठ में हुई थी. हमेशा की तरह वह जोशीमठ में आईटीबीपी के हॉस्पिटल में कार्य कर रही थी. उसी समय सुबह उन्हें खबर मिली कि ग्लेशियर टूटने से बड़ी संख्या में लोग हाइड्रो परियोजना के तहत बन रही सुरंग में फस गए हैं.
हॉस्पिटल में दो डॉक्टर थे. इसलिए एक डॉक्टर रेस्क्यू टीम के साथ टनल के पास चले गए और दूसरे डॉक्टर यानी डॉ ज्योति ने हॉस्पिटल की जिम्मेवारी संभाल ली. हैरानी की बात तो यह है कि डॉक्टर ज्योति ने 8 महीने का गर्भ धारण करने के बावजूद हॉस्पिटल में 3 दिनों तक जिम्मेदारी संभाली और डटी रही. इस दौरान शुरुआती 48 घंटों तक डॉक्टर ज्योति सोई नहीं और पहली टनल से बाहर निकाले गए 12 मजदूरों की जान बचाने में लगी रही. उनके गर्भवती होने की स्थिति को देखते हुए आसपास के लोगों और स्टाफ ने उन्हें आराम करने के लिए कहा. लेकिन लोगों की जान बचाने के जुनून ने उन्हें थकने नहीं दिया.
डॉ ज्योति के अनुसार टनल वन में 12 मजदूर फंसे हुए थे. यह सभी मजदूर एक लोहे की रॉड को पकड़कर घंटों तक जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे. इनमें से एक मजदूर बाकी सभी मजदूरों को गीत और शायरी सुना रहा था और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा था. इस मजदूर द्वारा दी गई इसी प्रेरणा से अन्य सभी 12 मजदूरों ने लोहे की रॉड को मजबूती से काफी घंटों तक पकड़े रखा. जब यह मजदूर हॉस्पिटल में लाए गए तो किसी को हाइपोथर्मिया था तो किसी का ऑक्सीजन लेवल कम था. इसके साथ ही सभी मजदूर भारी तनाव में थे. सुबह 10:00 बजे के करीब आपदा आई थी और मजदूरों को रेस्क्यू के बाद लगभग 6:30 बजे हॉस्पिटल में लाया गया. तब केवल डॉक्टर ज्योति ही वहां पर एकमात्र डॉक्टर थी.
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