हिसार । पिछले तीन सालों में कोरोना महामारी ने जहां लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया तो वहीं साथ ही आर्थिक रूप से भी कंगाल करने का काम किया है और उपर से बढ़ती मंहगाई ने आमजन का जीना दुभर कर दिया है. सड़क से लेकर रसोई तक, बच्चों की पढ़ाई से लेकर सपनों का आशियाना बनाने और दवा की कीमत में पिछले तीन साल में 50 से 70 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है.
लगातार बढ़ रही महंगाई ने आम आदमी की जेब पर डाका डालने का काम किया है. वैसे भी अप्रैल का महीना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए किसी सिरदर्दी से कम नहीं होता है. जरूरी दवाओं के दाम भी 50-80 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.
हर चीज के दाम सुनकर छूट रहे हैं पसीने
वैसे भी अप्रैल में राशन, बच्चों का एडमिशन, किताबें, स्कूल ड्रेस और स्टेशनरी पर होने वाला खर्च आमजन के लिए बजट कम- खर्चा ज्यादा वाला महीना हो जाता है. एक सामान्य प्राइवेट स्कूल में बच्चे के एडमिशन पर 15-20 रुपए तक खर्च हो रहा है. उस पर आम आदमी किसी तरह पैसे इकट्ठा कर नया मकान बनाने की सोच रहा है तो यहां भी सीमेंट, ईंट, क्रेशर,सरिया और बजरी के दाम सुनकर पसीने छूट रहे हैं. रही-सही कसर दवाओं की बढ़ी कीमतों ने पूरी कर दी है. महंगे राशन के साथ दवाओं की कीमत भी लगभग दोगुनी हो गई है.
मकान बनाने के लिए जरुरी सामग्री के पिछले तीन सालों के रेट
सामग्री – 2022 – 2021 – 2020
• ईंट – 6000(प्रति हजार) – 5500 – 5000
• सीमेंट – 420 (प्रति कट्टा) – 380 – 325
• बजरी – 32 (प्रति क्यूबिक फीट) – 28 – 25
• क्रेशर – 33 (प्रति क्यूबिक फीट) – 28 – 25
• रोड़ी – 32 (प्रति क्यूबिक फीट) – 28 – 25
• सरिया – 9500 (प्रति क्विंटल) – 6000 – 5000
दवाओं के रेट
• एंटीबायोटिक अमोक्सी टेबलेट – 210 -165 – 135
• टीबी के लिए आर्सेनिक टेबलेट – 95 – 65 – 45
• शुगर ग्लूको जी-2 – 170 – 120 – 80
• सिर दर्द के पैनिक प्लस टेबलेट – 20 – 10 – 5
• पैम्फर – 20 – 10 – 7
• जोड़ो के दर्द की टेबलेट वोवरान – 16 – 10 – 7
• मल्टी विटामिन टेबलेट – 90 – 60 – 40
• आई ड्रोप – 145 – 100 – 70
• सिनारेस्ट – 92 – 45 – 35
• खांसी कफ सिरप – 126 – 90 – 60
• पैरासिटमोल – 20 – 12 – 10
• सिनारेस्ट – 92 – 45 – 35
महंगाई का शिक्षा पर कितना प्रभाव
प्राइवेट स्कूल संघ से उप प्रधान राजबीर सिंह सिंधू ने बताया कि कोरोना के चलते स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं की गई क्योंकि फीस बढ़ाते ही बच्चे सरकारी स्कूलों का रुख कर लेते हैं. हां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है और बसों का किराया 20-30 प्रतिशत तक बढ़ गया है. जो स्कूल बस पहले एक हजार रुपए महीना किराया लेती थी वही बस अब 1200-1300 रुपए प्रति महीना ले रही है. उन्होंने बताया कि पहले किताबें दो हजार रुपए में आ जाती थी लेकिन अब वही खर्च बढ़कर 3500-4000 रुपए हो गया है.
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