हिसार | केन्द्र की मोदी सरकार किसानों के कल्याण हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चला रही है लेकिन इस योजना से जुड़ा एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. देश के बाकी राज्यों में इस योजना से जुड़ने वाले किसानों की संख्या का आंकड़ा बढ़ रहा है लेकिन हरियाणा में यह संख्या काफी तेजी से घट रही है.
आपको यह जानकर आश्चर्य जरूर होगा लेकिन हम यहां खरीफ सीजन का जिक्र कर रहे हैं. इसके लिए पंजीकरण कराने की लास्ट डेट 15 अगस्त तक बढ़ाई गई थी लेकिन फिर भी किसानों का रूझान इस योजना के प्रति नही बढ़ पाया.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PFFY) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल खरीफ सीजन के लिए हरियाणा से सिर्फ 1,46,531 किसानों ने ही पंजीकरण करवाया है, जबकि बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों की संख्या का आंकड़ा साढ़े 11 लाख है. वहीं पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें तो 543329 किसानों ने पंजीकरण करवाया था और लोन लेने वाले किसानों की संख्या महज 6,58,943 थी.
ये बड़ी वजह आई सामने
PFFY के तहत, पंजीकृत किसानों की संख्या का आंकड़ा घटने की सबसे बड़ी वजह यह है कि जिन किसानों ने बैंकों से ऋण लिया हुआ है, वे अब प्रीमियम राशि कटवाने के लिए बाध्य नहीं हैं. बैंक में इसका विकल्प मिलते ही ज्यादातर किसानों ने प्रीमियम भरना बंद कर दिया. वहीं नष्ट हुई फसलों का प्रदेश सरकार विशेष गिरदावरी करवा कर मुआवजा भी दे देती है, इस वजह से भी किसान फसलों का बीमा करवाने से परहेज़ करने लगे हैं.
इसके अलावा, बीमा के लिए एजेंसी तय नहीं होने और समय पर किसानों की आईडी नहीं बनने से भी किसानों की इस योजना में पंजीकरण कराने में रुचि कम हुई है. बीमा नियमों के तहत, फसलों के नुकसान की पूरी भरपाई नहीं होने से भी ऐसी नौबत आई है.
हिसार में नहीं पहुंची बीमा कंपनी
इस साल हिसार जोन में बीमा कंपनी नहीं आई थी. जिसके चलते, कपास की फसल का बीमा नहीं हो सका था लेकिन बाद में प्रदेश सरकार ने आवेदन लेकर बीमा किया था. इस कारण बीमा के आवेदन काफी कम रहे. हिसार में कपास की फसल ही मुख्य होती है और इसी वजह से यहां पंजीकृत किसानों की संख्या के आंकड़ों में गिरावट दर्ज हुई है.
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