Aman Sehrawat: बचपन में खोया मां बाप को, गुरु को हराकर पहुंचे ओलंपिक; बने सबसे कम उम्र के मेडल विजेता एथलीट

झज्जर | पेरिस में आयोजित किया जा रहे ओलंपिक खेलों में हरियाणा के खिलाड़ी निरंतर अपना शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. झज्जर के Aman Sehrawat ने भी कुश्ती के मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल झटका. इस जीत से अमन के पैतृक गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है. इस अवसर पर लोगों ने एक दूसरे को मिठाईयां खिलाई. काफी संख्या में लोग अमन के घर इकट्ठा हो गए. मैच देखने के लिए उनके घर के बाहर एक बड़ी स्क्रीन लगा दी गई, जिसके सामने ग्रामीण अपने लाडले का मैच देखने के लिए इकट्ठा हो गए. अमन के ताऊ ने बताया कि जब उनका बेटा भारत लौट आएगा, तब उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा.

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Aman Sehrawat Jhajjar

रवि दहिया को मानते थे गुरु

बता दें कि 57 किलो भार वर्ग में भारत ने लगातार 2 ओलंपिक मेडल जीते हैं. इससे पहले 2020 में आयोजित हुए टोक्यो ओलंपिक में भारत की तरफ से रवि दहिया भी सिल्वर मेडल जीत चुके हैं. रवि और अमन दोनों ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग प्राप्त की थी. अमन रवि को अपना गुरु मानते थे, लेकिन नेशनल ट्रायल्स के दौरान उन्होंने रवि दहिया को हराकर क्वालीफायर्स में जगह बनाई और ओलंपिक का टिकट पक्का किया.

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ऐसा रहा जीवन

साल 2003 में झज्जर जिले में जन्म लेने वाले अमन के माता- पिता की साल 2014 में मृत्यु हो गई. महज 11 साल की उम्र में उनके सिर से माता- पिता का साया है गया साल 2013 में माता कमलेश के बाद 2014 में पिता सोमवर स्वर्ग सिधार गए. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद, परिजनों ने अमन को छत्रसाल स्टेडियम में भेजने का प्लान बनाया. उससे 6 महीने पहले ही उनकी माता का निधन हो गया और स्टेडियम जाने के 6 महीने बाद पिता की मृत्यु हो गई. साल 2021 में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपना पहला खिताब जीता.

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साधारण किसान परिवार से सम्बन्ध रखते हैं अमन

साधारण किसान परिवार से संबंध रखने वाले अमन के हिस्से में ढाई एकड़ जमीन आती है. माता- पिता के निधन के बाद चाचा, ताऊ और दादा ने उनकी परवरिश की. अमन की बहन पूजा बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही है. उनके दादा मांगेराम, ताऊ सुधीर, जयवीर और चाचा रणवीर, कर्मवीर, वेद प्रकाश आदि परिजन गांव से कुछ किलोमीटर दूर नौगांव की तरफ जाने वाले कच्चे रास्ते पर बनी ढाणी में रहते हैं.

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